चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति प्रक्रिया में परिवर्तन
- 04 Mar 2023
2 मार्च 2023 कोसुप्रीम कोर्ट ने प्रधानमंत्री, लोक सभा में विपक्ष के नेता और उच्चतम न्यायलय के मुख्य न्यायाधीश की समिति की सलाह पर चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति का निर्देश दिया है।
- न्यायमूर्ति केएम जोसेफ की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने यह फैसला दिया है।
- यह नियम तब तक लागू रहेगी जब तक कि संसद द्वारा इस संबंध में कोई कानून नहीं बना दिया जाता।
- सुप्रीम कोर्ट के निर्णय में चुनाव आयोग को कार्यपालिका द्वारा सभी प्रकार की अधीनता से अलग रहना होगा।
- सुप्रीम कोर्ट के अनुसार चुनाव आयोग निष्पक्ष और कानूनी तरीके से कार्य करने और संविधान के प्रावधानों का पालन करने के लिए बाध्य है।
चुनाव आयोग :- चुनाव आयोग की स्थापना 25 जनवरी 1950 को हुई थी। यह एक संवैधानिक संस्था है, जो देश में चुनावों को संपन्न कराती है। संविधान के अनुच्छेद 324 से लेकर 329 तक चुनाव आयोग के बारे में प्रावधान किया गया है।
चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति:- संविधान के अनुच्छेद-324 के अनुसार चुनाव आयुक्तों की संख्या तथा उनका कार्यकाल संसद द्वारा इस संबंध में निर्मित विधि के अधीन होता है।
वर्ष 1989 में चुनाव आयुक्तों की संख्या को 1 से बढ़ाकर 3 कर दिया गया। 1990 में पुनः इसे एक सदस्यीय बना दिया गया किंतु वर्ष 1993 में इसे फिर से 3 सदस्यीय कर दिया गया है।
राष्ट्रपति, प्रधान मंत्री की अध्यक्षता वाली केंद्रीय मंत्रिपरिषद की सलाह पर इनकी नियुक्ति करता है। इनका कार्यकाल 6 वर्ष या 65 साल की आयु (दोनों में से जो भी पहले हो) तक होता है।
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