मैरीटाइम एंटी पायरेसी बिल, 2022
- 09 Jan 2023
21 दिसंबर, 2022 को राज्य सभा की मंजूरी के साथ ‘समुद्री जल दस्युता रोधी विधेयक, 2022’ (Maritime Anti Piracy Bill 2022) को संसद के दोनों सदनों की मंजूरी प्राप्त हो गई।
- यह विधेयक 19 दिसंबर, 2022 को लोक सभा द्वारा पारित किया गया था। राष्ट्रपति द्वारा हस्ताक्षरित किये जाने के पश्चात यह विधेयक अधिनियम का रूप ले लेगा।
- उल्लेखनीय है कि वर्ष 2008 से 2011 के बीच समुद्री डकैती के 27 मामले देखे गए, जिनमें 288 भारतीय नागरिक प्रभावित हुए। वहीं 2014 से 2022 के बीच ऐसे 19 मामले प्रकाश में आए और इनमें 155 भारतीय चालक दल के सदस्य प्रभावित हुए।
मुख्य विशेषताएं
- परिभाषा: किसी निजी जहाज या विमान के चालक दल अथवा यात्रियों द्वारा निजी उद्देश्यों के लिए किसी अन्य जहाज, विमान या व्यक्ति के खिलाफ हिंसा, हिरासत या विनाश का कोई भी गैरकानूनी कार्य पायरेसी कहा जा सकता है।
- मैरीटाइम पायरेसी के विरुद्ध कार्रवाई: यह विधेयक भारतीय अधिकारियों को सुदूर समुद्र (high seas) में समुद्री डकैती के विरुद्ध कार्रवाई करने में सक्षम बनाता है।
- प्रभाविता: यह भारत के समुद्र तट से 200 समुद्री मील के अंतर्गत आने वाले ‘अनन्य आर्थिक क्षेत्र’ (EEZ) के पार भी प्रभावी होता है।
- UNCLOS के प्रावधानों को लागू करना: इस विधेयक के माध्यम से ‘समुद्री कानून पर संयुक्त राष्ट्र अभिसमय’ (United Nations Convention on the Law of the Sea- UNCLOS) के प्रावधानों को देश के कानून में शामिल किया जाएगा।
- सख्त दंडात्मक प्रावधान: यदि समुद्री डकैती के दौरान किसी की मृत्यु होती है या यह किसी की मौत का कारण बनती है, तो ऐसे कृत्य के लिए दोषी को आजीवन कारावास या मृत्युदंड की सजा दी जाएगी।
- समुद्री डकैती के कृत्यों में भाग लेने, इसे आयोजित करने, इसमें सहायता या समर्थन करने या दूसरों को इसमें भाग लेने के लिए निर्देशित करने के लिए 14 वर्ष तक की कैद और जुर्माना हो सकता है।
विधेयक का महत्व
- भारतीय दंड संहिता या आपराधिक प्रक्रिया संहिता में समुद्री डकैती के संबंध में किसी विशिष्ट कानून या कानूनी प्रावधान का अभाव है, ऐसे में यह विधेयक समुद्री डकैती से निपटने के लिए एक प्रभावी कानूनी उपाय प्रदान करेगा, जिससे भारत की समुद्री सुरक्षा मजबूत होगी।
- समुद्री डकैती रोधी इस क़ानून से अन्य साझेदार देशों के बीच भारत की वैश्विक साख बढ़ेगी तथा दुनिया के समुद्री मार्ग समुद्री डकैती से मुक्त हो सकेंगे।
- यह विधेयक भारत को UNCLOS के तहत अपने दायित्वों का निर्वहन करने में भी सक्षम करेगा, जिस पर भारत ने 1982 में हस्ताक्षर किए थे और 1995 में इसकी पुष्टि की थी।
- 'संपर्क के समुद्री मार्गों' (sea lanes of communication) की सुरक्षा महत्वपूर्ण है, क्योंकि भारत का 90 प्रतिशत से अधिक व्यापार समुद्री मार्गों से होता है और देश की हाइड्रोकार्बन आवश्यकताओं का 80 प्रतिशत से अधिक समुद्र से ही प्राप्त होता है। ऐसे में यह विधेयक समुद्री सुरक्षा सुनिश्चित करके भारत की सुरक्षा और आर्थिक भलाई दृष्टि से महत्वपूर्ण साबित होगा।