बागवानी क्लस्टर विकास कार्यक्रम
- 08 Dec 2022
30 नवंबर, 2022 को ‘बागवानी क्लस्टर विकास कार्यक्रम’ (Horticulture Cluster Development Programme) के समुचित क्रियान्वयन के लिए कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की अध्यक्षता में बैठक का आयोजन किया गया।
- देश में बागवानी के समग्र विकास को सुनिश्चित करने के लिए ‘बागवानी क्लस्टर विकास कार्यक्रम’ का शुभारंभ केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा 31 मई, 2021 को किया गया था।
योजना के उद्देश्य
- लक्षित फसलों के निर्यातों में लगभग 20% का सुधार करना;
- क्लस्टर फसलों की प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाने के लिए क्लस्टर-विशिष्ट ब्रांड (Cluster-Specific Brand) का निर्माण करना; एवं
- देश में कृषि क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए और किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य देकर उनकी आय में वृद्धि करना।
मुख्य विशेषताएं
- नोडल एजेंसी: राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड (National Horticulture Board) को इस केंद्रीय क्षेत्र योजना के कार्यान्वयन के लिए नोडल एजेंसी के रूप में नामित किया गया है।
- पायलट प्रोजेक्ट: कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने इस योजना के तहत 55 बागवानी समूहों की पहचान की है, जिनमें से 12 बागवानी समूहों को पायलट प्रोजेक्ट के लिए चुना गया है। पायलट प्रोजेक्ट से मिली सीख के आधार पर कार्यक्रम को सभी 55 क्लस्टरों में बढ़ाया जाएगा।
- कार्यान्वयन ढांचा: इस कार्यक्रम के लिए राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड वित्तीय सहायता प्रदान करेगा।
- क्लस्टर विकास कार्यक्रम के कार्यान्वयन के लिए प्रत्येक पहचाने गए क्लस्टर में राज्य/केंद्र सरकार द्वारा अनुशंसित एक सरकारी/सार्वजनिक क्षेत्र की इकाई को क्लस्टर डेवलपमेंट एजेंसी (Cluster Development Agency) के रूप में नियुक्त किया जाएगा।
- क्लस्टर डेवलपमेंट एजेंसी, कार्यक्रम के सुचारु कार्यान्वयन के लिए अपने अधीक्षण में अधिकारियों की एक समर्पित टीम के साथ एक क्लस्टर डेवलपमेंट सेल (Cluster Development Cell) की स्थापना करेगी।
- जियो टैगिंग: कार्यक्रम के तहत छोटे व सीमांत किसानों को लाभ पहुंचाने, खेतों में लागू की जाने वाली गतिविधियों का पता लगाने, निगरानी उद्देश्य के लिए बुनियादी ढांचे की जियो टैगिंग (Geo Tagging) आदि की आवश्यकता है।
- योजना की आवश्यकता: क्लस्टर विकास कार्यक्रम को बागवानी समूहों की भौगोलिक विशेषज्ञता का लाभ उठाने एवं प्रीप्रोडक्शन (Preproduction), प्रोडक्शन, लॉजिस्टिक्स, कटाई के बाद प्रबंधन ब्रांडिंग और मार्केटिंग गतिविधियों के एकीकृत एवं बाजार-आधारित विकास (Integrated and Market-Led Development) को बढ़ावा देने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
योजना का महत्व
- क्लस्टर विकास कार्यक्रम से किसानों को अधिक पारिश्रमिक मिल सकता है।
- इस कार्यक्रम से लगभग 10 लाख किसानों और मूल्य श्रृंखला (Value Chain )के संबंधित हितधारकों को लाभ हो सकता है।
- क्लस्टर विकास कार्यक्रम में बागवानी उत्पादों की कुशल एवं समय पर निकासी तथा परिवहन के लिए मल्टीमॉडल परिवहन के उपयोग के साथ अंतिम-मील संपर्कता (Last-Mile Connectivity) का निर्माण करके समग्र बागवानी पारिस्थितिकी तंत्र को बदलने की क्षमता है।
- इसके माध्यम से बागवानी क्षेत्र में सरकारी एवं निजी निवेश को भी बढाया जा सकता है।
भारत में बागवानी क्षेत्र का विकास
- उत्पादन: वर्ष 2019-20 के दौरान देश में 25.66 मिलियन हेक्टेयर भूमि पर बागवानी क्षेत्र का अब तक का सर्वाधिक 320.77 मिलियन टन उत्पादन हुआ।
- वर्ष 2020-21 के पहले अग्रिम अनुमान के अनुसार देश में 27.17 लाख हेक्टेयर भूमि पर बागवानी क्षेत्र का कुल उत्पादन 326.58 लाख मीट्रिक टन रहने का अनुमान है।
- कृषि जीडीपी में योगदान: बागवानी का देश के कई राज्यों के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान है और कृषि जीडीपी में इसका योगदान 30 प्रतिशत से अधिक है।
एकीकृत बागवानी विकास मिशन
- शुरुआत: देश में बागवानी क्षेत्र में मौजूद संभावनाओं को साकार करने के लिए कृषि मंत्रालय ‘एकीकृत बागवानी विकास मिशन’ (Mission for Integrated Development of Horticulture- MIDH) नामक केंद्र प्रायोजित योजना को वर्ष 2014-15 से लगातार कार्यान्वित कर रहा है।
- उत्पादन में वृद्धि: इस मिशन ने खेतों में इस्तेमाल की जाने वाली सर्वोत्तम प्रणालियों को बढ़ावा दिया है, जिसने खेत की उत्पादकता और उत्पादन की गुणवत्ता में काफी सुधार किया है।
- योगदान: एमआईडीएच के लागू होने से न केवल बागवानी क्षेत्र में भारत की आत्मनिर्भरता बढ़ी है, बल्कि इसने भूख, अच्छा स्वास्थ्य व देखभाल, ग़रीबी से मुक्ति, लैंगिक समानता जैसे सतत् विकास लक्ष्यों को हासिल करने में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड
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बागवानी क्षेत्र के विकास के लिए क्या किये जाने की आवश्यकता है?
- बुनियादी ढांचे को बढ़ावा: भारत में बागवानी क्षेत्र, फसल कटाई के बाद होने वाले नुकसान और फसल कटाई के बाद के प्रबन्धन एवं सप्लाई चेन के बुनियादी ढांचे के बीच मौजूद अंतर की वजह से अभी भी काफी चुनौतियों का सामना कर रहा है।
- सघन बागवानी को बढ़ावा: बागवानी कृषि को अधिक लाभप्रद बनाने के लिये किसानों को परंपरागत खेती की बजाय सघन बागवानी को अपनाना चाहिये। इसके लिये वे वैज्ञानिकों द्वारा विकसित विभिन्न फलों की बौनी किस्मों का इस्तेमाल कर सकते हैं, जैसे- आम की आम्रपाली, अर्का व अरुणा, नींबू की कागज़ी कला, सेब की रेड चीफ, रेड स्पर आदि।