भारत ने किया 'अत्यधिक गरीबी' को समाप्त: आईएमएफ शोध पत्र
- 27 Apr 2022
5 अप्रैल, 2022 को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) द्वारा 'पेंडामिक पॉवर्टी एंड इनइक्वालिटी: एविडेंस फ्रॉम इंडिया' (Pandemic, Poverty, and Inequality: Evidence from India) शीर्षक से एक नया शोध पत्र जारी किया गया।
(Image Source: https://asianatimes.com/)
महत्वपूर्ण तथ्य: शोध पत्र के अनुसार महामारी से पहले के साल यानी 2019 में भारत में अत्यधिक गरीबी 0.8 फीसदी तक कम हो गई थी।
- उसके बाद खाद्य-हस्तांतरण जैसी योजना ने यह सुनिश्चित करने में महती भूमिका निभाई कि यह दर महामारी वाले साल यानी 2020 में भी उसी स्तर पर बनी रहे।
- विश्व बैंक द्वारा अत्यधिक गरीबी को 2011 की क्रय शक्ति समता (purchasing power parity) शर्तों के अनुसार प्रतिदिन 1.9 डॉलर से कम जीवनयापन करने वाले लोगों के हिस्से के रूप में परिभाषित किया गया है।
- प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेवाई) के कारण 2020 में भारत में अत्यधिक गरीबी 1 फीसदी से कम पर बनी रही।
- शोध पत्र का तर्क है कि खाद्य सब्सिडी डेटा को शामिल करने से यह निष्कर्ष निकालने में मदद मिली है कि 'आधिकारिक गरीबी रेखा' को 865 रुपए प्रति व्यक्ति प्रति माह से 2250 रुपए प्रति व्यक्ति प्रति माह (PPP $1.9 to $3.2) किया जाना चाहिए।
- सुरजीत भल्ला (कार्यकारी निदेशक आईएमएफ इंडिया), अरविंद विरमानी (संस्थापक अध्यक्ष, ईग्रो) और अमेरिका स्थित शोधकर्ता करण भसीन द्वारा यह शोध पत्र तैयार किया गया है।
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