सुप्रीम कोर्ट ने 'वन रैंक - वन पेंशन' की नीति को सही ठहराया
- 29 Mar 2022
सुप्रीम कोर्ट ने 16 मार्च, 2022 को सशस्त्र बलों के लिए केंद्र की 'वन रैंक- वन पेंशन' (ओआरओपी) योजना को बरकरार रखा है।
(Image Source: https://twitter.com/pib_india//)
महत्वपूर्ण तथ्य: सुप्रीम कोर्ट ने वन रैंक, वन पेंशन पर सरकार के फैसले को बरकरार रखा और कहा कि उसे ओआरओपी सिद्धांत और 7 नवंबर, 2015 की अधिसूचना पर कोई संवैधानिक दोष नहीं लगता है।
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नीति में 5 साल में जो पेंशन की समीक्षा का प्रावधान है वह बिल्कुल सही है। इसी प्रावधान के तहत सरकार 1 जुलाई, 2019 की तारीख से पेंशन की समीक्षा करे।
- ओआरओपी योजना में निर्धारित किया गया था कि पेंशनभोगियों के लिए लाभ 1 जुलाई, 2014 की कट-ऑफ तारीख से प्रभावी होंगे तथा पिछले पेंशनभोगियों की पेंशन कैलेंडर वर्ष 2013 में सेवानिवृत्त लोगों की पेंशन के आधार पर तय की जाएगी।
- अदालत का यह निर्णय 'भारतीय भूतपूर्व सैनिक आंदोलन' द्वारा दायर उस याचिका में दिया गया, जिसमें शिकायत की गई थी कि एक ही रैंक के पेंशनभोगियों को ओआरओपी योजना के तहत मनमाने ढंग से अलग-अलग पेंशन दी जा रही है।
- उनका तर्क था कि समान रैंक से सेवानिवृत्त हुए सशस्त्र बलों के कर्मियों के लिए पेंशन की राशि एक समान होनी चाहिए।
- भूतपूर्व सैनिक संघ द्वारा दायर इस याचिका में भगत सिंह कोश्यारी समिति द्वारा पांच साल में एक बार आवधिक समीक्षा की वर्तमान नीति के बजाय एक स्वचालित वार्षिक संशोधन के साथ वन रैंक- वन पेंशन को लागू करने की मांग की गई थी।
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