हीलियम की सटीक मात्रा का पता लगाने की नई विधि विकसित
- 25 Apr 2025
हाल ही मेंभारतीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के अधीन भारतीय एस्ट्रोफिजिक्स संस्थान (IIA) ने सूर्य के फोटोस्फीयर में हीलियम की मात्रा का सटीक अनुमान लगाने के लिए एक नई और विश्वसनीय विधि विकसित की है। यह अध्ययन “Astrophysical Journal” में प्रकाशित हुआ है और सूर्य के फोटोस्फीयर की अपारदर्शिता (opacity) का आकलन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
प्रमुख तथ्य:
- हीलियम की परंपरागत गणना में समस्या: सूर्य के फोटोस्फीयर में हीलियम के स्पेक्ट्रल लाइन नहीं होने के कारण इसकी मात्रा का अनुमान परोक्ष तरीकों से लगाया जाता था, जैसे कि सूर्य के कोरोना, सौर हवा या हीलोसिस्मोलॉजी अध्ययन से।
- नई विधि का आधार: IIA के शोधकर्ताओं ने मैग्नीशियम और कार्बन के न्यूट्रल एटॉमिक और हाइड्रोजनेटेड अणु (MgH, CH, C2) के स्पेक्ट्रल लाइनों का विश्लेषण कर हीलियम की मात्रा का अनुमान लगाया। यह विधि हीलियम और हाइड्रोजन के सापेक्ष अनुपात (He/H) को 0.1 के करीब बताती है।
- स्पेक्ट्रल लाइन विश्लेषण: मैग्नीशियम और कार्बन के परमाणु और अणु लाइनों के बीच सुसंगतता की जांच करके हीलियम की मात्रा का निर्धारण किया गया। यदि हीलियम की मात्रा बढ़ेगी, तो हाइड्रोजन की उपलब्धता कम होगी और इससे अणुओं के बनने की प्रक्रिया प्रभावित होगी।
- हीलियम-हाइड्रोजन अनुपात का महत्व: हीलियम सूर्य में हाइड्रोजन के बाद दूसरा सबसे प्रचुर तत्व है, और इसका सटीक मापन सूर्य के भौतिक गुणों, जैसे अपारदर्शिता, को समझने में मदद करता है।
- अन्य अध्ययनों से मेल: यह नया अनुमान हीलोसिस्मोलॉजिकल अध्ययनों के परिणामों के अनुरूप है, जो इस तकनीक की विश्वसनीयता और सटीकता को दर्शाता है।
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