सूक्ष्म वित्त संस्थानों को सशर्त ब्याज दरें तय करने की अनुमति
- 29 Mar 2022
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने 14 मार्च, 2022 को सूक्ष्म-वित्त संस्थानों को कुछ ‘शर्तों’ के साथ ब्याज दरें तय करने की अनुमति दी है।
संशोधित दिशा-निर्देश: सूक्ष्म वित्त ऋणों के लिए संशोधित दिशा-निर्देश 1 अप्रैल, 2022 से प्रभावी होंगे।
- सूक्ष्म-वित्त ऋण की परिभाषा को संशोधित किया गया है। एक सूक्ष्म-वित्त ऋण का आशय तीन लाख रुपये तक की सालाना आय वाले परिवार को दिए जाने वाले गारंटी-मुक्त कर्ज से है।
- सभी विनियमित इकाइयों को निदेशक-मंडल की अनुमति वाली एक नीति लागू करनी चाहिए। इस नीति में सूक्ष्म-वित्त ऋणों की कीमत, कवर, ब्याज दरों की अधिकतम सीमा और सभी अन्य शुल्कों के बारे में स्पष्टता लाने की जरूरत है।
- आरबीआई ने कहा कि इन कर्जों पर ब्याज दरें एवं अन्य शुल्क बहुत ऊंचे नहीं रखे जाने चाहिए। क्योंकि ये शुल्क और दरें केंद्रीय बैंक की निगरानी के दायरे में होंगी।
- किसी सूक्ष्म-वित्त कर्ज की अदायगी के संदर्भ में कर्जदार की मासिक आय की अधिकतम 50% राशि ही पुनर्भुगतान की सीमा बनाई जा सकती है।
- पुराने दिशा-निर्देशों के तहत सूक्ष्म-वित्त संस्थान की अर्हता नहीं रखने वाली गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (एनबीएफसी) अपनी कुल परिसंपत्ति के 10% से अधिक सूक्ष्म-वित्त कर्ज नहीं दे सकती थीं। लेकिन अब इसकी अधिकतम सीमा को बढ़ाकर 25% कर दिया गया है।
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