आईपीसीसी छठी मूल्यांकन रिपोर्ट-II
- 07 Mar 2022
इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (आईपीसीसी) ने 28 फरवरी, 2022 को अपनी छठी मूल्यांकन रिपोर्ट का दूसरा भाग जारी किया।
(Image Source: https://www.ipcc.ch/)
रिपोर्ट की मुख्य बातें: दुनिया अगले दो दशकों में 1.5 डिग्री सेल्सियस की ग्लोबल वार्मिंग के साथ कई जलवायु खतरों का सामना कर रही है, जिसके गंभीर प्रभाव होंगे, जिनमें से कुछ अपरिवर्तनीय होंगे।
- मानव-प्रेरित जलवायु परिवर्तन, जिसमें अधिक लगातार और तीव्र चरम घटनाएं शामिल हैं, ने प्रकृति और लोगों को व्यापक क्षति पहुंचाई है। कुछ विकास और अनुकूलन प्रयासों ने सुभेद्यता को कम कर दिया है।
- अगर सरकारें अपने मौजूदा उत्सर्जन-कटौती प्रतिबद्धता को पूरा करती हैं तो इस सदी में वैश्विक समुद्र का स्तर 44-76 सेंटीमीटर तक बढ़ेगा। तेजी से उत्सर्जन में कटौती के साथ, वृद्धि 28-55 सेमी तक सीमित रह सकती है।
- लेकिन अत्यधिक उत्सर्जन के साथ यदि हिमचादरें टूटती हैं, तो समुद्र का स्तर इस सदी में 2 मीटर और वर्ष 2150 तक 5 मीटर तक बढ़ सकता है।
- जलवायु परिवर्तन के भौतिक विज्ञान पर इस रिपोर्ट का पहला भाग अगस्त 2021 में जारी किया गया था।
भारत में वेट बल्ब तापमान (wet-bulb temperature): रिपोर्ट में भारत में वेट-बल्ब तापमान के बारे में बताया गया है कि इसके तहत किसी शहर का तापमान और आर्द्रता का आंकलन किया जाता है।
- अगर उत्सर्जन में वृद्धि जारी रही तो लखनऊ और पटना 35 डिग्री सेल्सियस के वेट बल्ब तापमान तक तथा भुवनेश्वर, चेन्नई, मुंबई, इंदौर और अहमदाबाद32-34 डिग्री सेल्सियस के वेट बल्ब तापमान तक पहुंच सकते हैं।
- कुल मिलाकर, असम, मेघालय, त्रिपुरा, पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, ओडिशा, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब सबसे गंभीर रूप से प्रभावित होंगे।
- लेकिन अगर उत्सर्जन बढ़ता रहा तो सभी राज्यों में ऐसे क्षेत्र होंगे, जो 30 डिग्री सेल्सियस या उससे अधिक वेट बल्ब तापमान का अनुभव करेंगे।
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