हरित हाइड्रोजन एवं हरित अमोनिया नीति
- 22 Feb 2022
विद्युत मंत्रालय ने 17 फरवरी, 2022 को हरित हाइड्रोजन/हरित अमोनिया नीति अधिसूचित किया है।
उद्देश्य: कार्बन उत्सर्जन को कम करना, भारत को हरित हाइड्रोजन हब बनाना और 2030 तक हरित हाइड्रोजन के घरेलू उत्पादन को बढ़ाकर 5 मिलियन टन करना।
नीति की विशेषताएं: हरित हाइड्रोजन या अमोनिया के विनिर्माता विद्युत एक्सचेंज से अक्षय ऊर्जा खरीद सकते हैं या स्वयं या किसी अन्य डेवलपर के माध्यम से कहीं भी अक्षय ऊर्जा क्षमता स्थापित कर सकते हैं।
- 15 दिनों के भीतर संयंत्रों को अक्षय स्रोतों से बिजली खरीदने की सुविधा मिल जाएगी।
- 30 जून, 2025 से पहले शुरू की गई परियोजनाओं के लिए हरित हाइड्रोजन एवं हरित अमोनिया के ऐसे विनिर्माताओं के लिए 25 साल के लिए अंतर-राज्यीय पारेषण शुल्क माफ किया जाएगा।
- हरित हाइड्रोजन/अमोनिया विनिर्मात बिना खपत वाली अक्षय ऊर्जा को 30 दिनों तक वितरण कंपनी के पास रख सकते हैं और आवश्यकता पड़ने पर इसे वापस ले सकते हैं।
नीति का महत्व: हाइड्रोजन या अमोनिया का उत्पादन ज्यादातर प्राकृतिक गैस के साथ कभी-कभी इलेक्ट्रोलिसिस द्वारा किया जाता है। इन दोनों विधियों को निष्पादित करने की शक्ति हाइड्रोकार्बन या प्राकृतिक गैस से प्राप्त होती है।
- हरित हाइड्रोजन का उत्पादन गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोत जैसे सौर या पवन ऊर्जा से होता है लेकिन यह वर्तमान में अलाभकारी है और नई नीति का उद्देश्य इसे और अधिक व्यवहार्य बनाना है।
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