1922 के पाल और दढवाव के शहीद आदिवासी
- 29 Jan 2022
26 जनवरी, 2022 को गणतंत्र दिवस परेड में गुजरात की झांकी में साबरकांठा के पाल और दढवाव गांव के आदिवासी शहीदों को दर्शाया गया। पाल और दढवाव के गांवों में 1922 में ब्रिटिश शासन के खिलाफ विरोध करते हुए 1,200 आदिवासी नरसंहार में शहीद हो गए थे।
(Image Source: PIB)
- गुजरात की झांकी का विषय ‘गुजरात के आदिवासी क्रांतिवीर’ था। झांकी में साबरकांठा के पोशिना तालुका के आदिवासी कलाकारों द्वारा पारंपरिक 'गेर' नृत्य और संगीत का भी प्रदर्शन किया गया।
- मोतीलाल तेजावत के नेतृत्व में, 7 मार्च, 1922 को ब्रिटिश शासकों द्वारा लगाए गए जागीरदार और रजवाड़ा से संबंधित भूमि राजस्व प्रणाली और कानूनों के विरोध में कई भील आदिवासी लोग 'हेर' नदी के तट पर एकत्र हुए थे।
- मेजर एचजी सटन द्वारा जारी एक फायरिंग आदेश के बाद, लगभग 1,200 आदिवासी उस दिन शहीद हो गए थे।
- यह भी कहा जाता है कि क्षेत्र में ‘ढेखड़िया कुआं’ और दूधिया कुआं’ नाम के दो कुएं आदिवासी लोगों के शवों से भरे हुए थे।
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