तख्त दमदमा साहिब
- 10 Jan 2022
3 जनवरी, 2022 को दिल्ली विधान सभा ने दिल्ली सिख गुरुद्वारा अधिनियम, 1971 में एक संशोधन विधेयक पारित किया, जिसमें ‘तख्त दमदमा साहिब’ (Takht Damdama Sahib) को दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधन समिति में सिखों के पांचवें तख्त के रूप में मान्यता दी गई है।
महत्वपूर्ण तथ्य: तख्त का शाब्दिक अर्थ है एक सिंहासन या प्राधिकारी की सीट। तख्त सिख समुदाय से संबंधित मुद्दों पर समय-समय पर हुकुमनामा जारी करने के लिए जाने जाते हैं। पांच सिख तख्त हैं, पंजाब में तीन और महाराष्ट्र और बिहार में एक-एक।
अकाल तख्त: अमृतसर में स्थित, यह तख्तों में सबसे पुराना है, और पाँचों में सर्वोच्च माना जाता है। इसकी स्थापना 1606 में गुरु हरगोबिंद ने की थी।
- अन्य चार तख्त सिखों के दसवें गुरु, गुरु गोबिंद सिंह से जुड़े हुए हैं।
- बिहार स्थित तख्त पटना साहिब में 1666 में गुरु गोबिंद सिंह का जन्म हुआ था।
- तख्त केशगढ़ साहिब पंजाब के आनंदपुर साहिब में स्थित है। यहीं पर गुरु गोबिंद सिंह ने 1699 मेंखालसा पंथ की स्थापना की थी।
- तख्त हजूर साहिब महाराष्ट्र के नांदेड़ में स्थित है, यहाँ गुरु गोबिंद सिंह ने समय बिताया था और 1708 में उनका अंतिम संस्कार भी किया गया था।
- तख्त दमदमा साहिब बठिंडा के तलवंडी साबो में स्थित है। गुरु गोबिंद सिंह ने यहां कई महीने बिताए।
दिल्ली सिख गुरुद्वारा अधिनियम में संशोधन:इसके द्वारा दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधन समिति (DSGMC) के कार्यालय में एक और पदेन सदस्य (तख्त दमदमा साहिब के प्रमुख जत्थेदार) को जोड़ा गया है।
- इससे पहले, इसमें चार पदेन सदस्य थे, जो अन्य चार सिख तख्तों के प्रमुख (जत्थेदार) हैं।
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