केरल की सिल्वरलाइन परियोजना
- 07 Jan 2022
राजनीतिक दलों के साथ-साथ नागरिक संगठन जैसे 'के-रेल सिल्वरलाइन विरुद्ध जनकीय समिति' केरल की सिल्वरलाइन परियोजना के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।
(Image Source: https://www.newindianexpress.com)
- पर्यावरणविदों का मानना है कि सिल्वरलाइन से पर्यावरण को बहुत नुकसान होगा क्योंकि इसका मार्ग कीमती आर्द्रभूमि, धान के खेतों और पहाड़ियों से होकर गुजरता है।
सिल्वरलाइन परियोजना: यह एक सेमी हाई स्पीड रेलवे परियोजना है।
- प्रस्तावित 529.45 किलोमीटर की रेलवे लाइन दक्षिण में तिरुवनंतपुरम को उत्तर में कासरगोड से जोड़ेगी, जिसमें 11 स्टेशनों के माध्यम से 11 जिलों को शामिल किया जाएगा।
- परियोजना के पूरा होने पर कासरगोड से तिरुवनंतपुरम के बीच यात्रा का समय 12 घंटे से घटकर चार घंटे से भी कम हो जाएगा।
कार्यान्वयन: केरल रेल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड (KRDCL) द्वारा निष्पादित की जा रही इस परियोजना की समय सीमा 2025 है।
- KRDCL, केरल सरकार और केंद्रीय रेल मंत्रालय के बीच एक संयुक्त उद्यम है, जिसे बड़ी रेलवे परियोजनाओं को निष्पादित करने के लिए बनाया गया है।
परियोजना की विशेषताएं: इसमें इलेक्ट्रिक मल्टीपल यूनिट (ईएमयू) प्रकार की ट्रेनें चलाई जाएंगी। प्रत्येक ट्रेन में 9 डिब्बे होंगे, जिन्हें 12 तक बढ़ाया जा सकता है।
एक डिब्बे में बिजनेस और स्टैंडर्ड क्लास में अधिकतम 675 यात्री बैठ सकते हैं। मानक गेज ट्रैक पर ट्रेनें 220 किमी/घंटा की अधिकतम गति से चल सकती हैं। सामयिक खबरें
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