बहिर्ग्रह को सटीक रूप से समझने के लिए भारतीय खगोलविदों ने विकसित किया एल्गोरिदम
- 22 Nov 2021
विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के एक स्वायत्त संस्थान इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स (Indian Institute of Astrophysics: IIA) के खगोलविदों ने एक एल्गोरिदम विकसित किया है, जो संदूषण (contamination) और उपकरणीय प्रभावों तथा अन्य कारकों के कारण होने वाली गड़बड़ी को कम करके ‘बहिर्ग्रह’ (Exoplanets) से डेटा की सटीकता को बढ़ा सकता है।
महत्वपूर्ण तथ्य: इस एल्गोरिदम को "क्रिटिकल नॉइज ट्रीटमेंट एल्गोरिदम" (Critical noise treatment algorithm) कहा जाता है और यह बेहतर सटीकता के साथ बहिर्ग्रह के पर्यावरण का अध्ययन करने में मदद कर सकती है।
- खगोलविदों का समूह भारत में उपलब्ध भू-सतह पर आधारित ऑप्टिकल दूरबीनों और अंतरिक्ष दूरबीन ‘ट्रांजिटिंग एक्सोप्लैनेट सर्वे सैटेलाइट’ या टीईएसएस द्वारा प्राप्त आंकड़ों का उपयोग कर रहा है।
- खगोलविदों ने फोटोमेट्रिक ट्रांजिट विधि का पालन करते हुए ग्रह युक्त कई सितारों से फोटोमेट्रिक डेटा प्राप्त किया है।
- खगोलविदों के अनुसार हालांकि विभिन्न स्रोतों के कारण उत्पन्न शोर से पारगमन संकेत (transit signals) बहुत अधिक प्रभावित होते हैं और जो ग्रहों के भौतिक मापदंडों का सटीक अनुमान लगाने में एक चुनौती भी बनते हैं।
- टीम ने एक महत्वपूर्ण एल्गोरिदम विकसित किया है, जो जमीन और अंतरिक्ष-आधारित दोनों दूरबीनों द्वारा पता लगाए गए पारगमन संकेतों का पहले से कहीं बेहतर सटीकता के साथ वांच्छित परिष्करण कर सकता है।
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