करुप्पुर कलमकारी पेंटिंग और कल्लाकुरिची लकड़ी की नक्काशी को जीआई टैग
- 22 Oct 2021
अक्टूबर 2021 में तमिलनाडु के, पारंपरिक डाई-पेंटेड (dye -painted) आलंकारिक और पैटर्न वाले कपड़े 'करुप्पुर कलमकारी पेंटिंग' (Karuppur kalamkari paintings) और कल्लाकुरिची की लकड़ी की नक्काशी (wood carvings of Kallakurichi) को भौगोलिक संकेतक (जीआई) टैग प्राप्त हुआ है।
(Image Source: Indian Express)
- कलमकारी पेंटिंग: यह शुद्ध सूती कपड़े पर की जाती है, जो मुख्य रूप से मंदिरों में छाता कवर और रथ कवर के लिए उपयोग की जाती हैं।
- पेंटिंग एक सूती कपड़े पर बांस के पेड़ और नारियल के पेड़ के तनों से बने पेन या ब्रश का उपयोग करके जटिल रूप से बनाई जाती हैं।
- कलमकारी पेंटिंग अरियालुर जिले के करुप्पुर एवं उसके आसपास के गांवों में और तंजावुर जिले में की जाती है।
- दस्तावेजी साक्ष्यों से पता चलता है कि कलमकारी पेंटिंग 17वीं शताब्दी की शुरुआत में नायक शासकों के संरक्षण में विकसित हुई।
- कल्लाकुरिची लकड़ी की नक्काशी: यह लकड़ी की नक्काशी का एक अनूठा रूप है, जिसमें शिल्पकारों द्वारा पारंपरिक शैलियों से प्राप्त अलंकरण और डिजाइनों का उपयोग किया जाता है।
- इस लकड़ी की नक्काशी में शिल्पकार पारंपरिक डिजाइनों का उपयोग करके मंदिर से संबंधित वस्तुओं और फर्नीचर को भी तराशने में माहिर होते हैं।
- कल्लाकुरिची लकड़ी की नक्काशी मुख्य रूप से कल्लाकुरिची जिले के कल्लाकुरिची, चिन्नासेलम और थिरुकोविलूर तालुकों में प्रचलित है।
- लकड़ी की नक्काशी का यह कौशल एक स्वदेशी कला के रूप में तब विकसित हुआ, जब 'मदुरै' प्राचीन काल में विभिन्न राजशाही शासनों के तहत एक महत्वपूर्ण शहर था।
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