सरकारी सहायता प्राप्त करने का अधिकार मौलिक अधिकार नहीं
- 29 Sep 2021
सुप्रीम कोर्ट ने 27 सितंबर, 2021 को एक फैसले में कहा कि किसी संस्थान का, चाहे वह बहुसंख्यक या अल्पसंख्यक समुदाय द्वारा संचालित हो, सरकारी सहायता प्राप्त करने का अधिकार मौलिक अधिकार नहीं है तथा दोनों को समान रूप से सहायता के नियमों और शर्तों का पालन करना होगा।
महत्वपूर्ण तथ्य: जब अनुदान प्राप्त संस्थाओं का मामला हो तो उसमें अल्पसंख्यक या गैर अल्पसंख्यक संस्थान का भेद नहीं किया जा सकता।
- पीठ ने स्पष्ट किया कि यदि सरकार ने सहायता वापस लेने के लिए कोई नीतिगत फैसला किया है, तो कोई संस्थान इस निर्णय पर "अधिकार के मामले" के रूप में सवाल नहीं खड़ा कर सकता।
- यदि कोई संस्थान सरकारी अनुदान नहीं लेना चाहता और इसके लिए जरूरी शर्तों का पालन नहीं करना चाहता है तो यह उस पर निर्भर करता है और वह अपने स्तर पर काम कर सकता है।
- इलाहाबाद उच्च न्यायालय के एक फैसले के खिलाफ उत्तर प्रदेश द्वारा दायर एक अपील में निर्णय आया, जिसमें इंटरमीडिएट शिक्षा अधिनियम 1921 के एक प्रावधान को असंवैधानिक घोषित किया गया था।
- अनुच्छेद 30(2) के अनुसार शिक्षा संस्थाओं को सहायता देने में राज्य किसी शिक्षा संस्था के विरुद्ध इस आधार पर विभेद नहीं करेगा कि वह धर्म या भाषा पर आधारित किसी अल्पसंख्यक-वर्ग के प्रबंधन में है।
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