बीसीजी वैक्सीन के 100 साल
- 10 Sep 2021
मनुष्यों में तपेदिक (टीबी) के खिलाफ टीके बीसीजी यानी ‘बैसिलस कैलमेट-ग्यूरिन’ (Bacillus Calmette-Guerin) के पहली बार प्रयोग के सौ वर्ष पूरे हो गए हैं।
महत्वपूर्ण तथ्य: बीसीजी को दो फ्रांसीसी, अल्बर्ट कैलमेट (Albert Calmette) और केमिली ग्यूरिन (Camille Guerin) द्वारा विकसित किया गया था। मनुष्यों में इसका प्रयोग पहली बार 1921 में किया गया था।
- वर्तमान में, बीसीजी टीबी की रोकथाम के लिए उपलब्ध एकमात्र लाइसेंस प्राप्त टीका है।
- बीसीजी टीबी के गंभीर रूपों के खिलाफ मजबूत सुरक्षा प्रदान करता है। यह किशोरों और वयस्कों में 0-80% तक प्रभावी है।
- बीसीजी नवजात शिशुओं के श्वसन और जीवाणु संक्रमण, कुष्ठ और बुरुली अल्सर (Buruli’s ulcer) जैसे अन्य माइकोबैक्टीरियल रोगों से भी बचाता है।
- भारत में, बीसीजी को पहली बार 1948 में सीमित पैमाने पर पेश किया गया था और यह 1962 में 'राष्ट्रीय टीबी नियंत्रण कार्यक्रम' का एक हिस्सा बन गया। भारत ने 2025 तक एक सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या के रूप में टीबी को खत्म करने के लिए प्रतिबद्धता की है।
- टीबी 'माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस' (Mycobacterium tuberculosis) नामक जीवाणु के कारण होता है, जो लगभग 200 सदस्यों वाले ‘माइकोबैक्टीरियासी’ (Mycobacteriaceae) परिवार से संबंधित है।
- विश्व स्वास्थ्य संगठन की ‘वैश्विक तपेदिक (टीबी) रिपोर्ट के अनुसार, 2019 में 10 मिलियन लोग टीबी से ग्रसित थे, जिनमें 1.4 मिलियन लोगों की मौत हुई। भारत में इन मामलों की संख्या वैश्विक मामलों की 27% थी।
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