भारत की चार और आर्द्रभूमियां रामसर सूची में शामिल
- 17 Aug 2021
भारत की चार और आर्द्रभूमियों (वेटलैंड्स) को रामसर सचिवालय से रामसर स्थलों के रूप में मान्यता मिल गई है। इसके साथ ही भारत में रामसर स्थलों की संख्या 46 हो गई है।
महत्वपूर्ण तथ्य: ये स्थल हैं- गुजरात के थोल और वाधवाना तथा हरियाणा के सुल्तानपुर और भिंडावास। हरियाणा के किसी स्थल को पहली बार रामसर सूची में स्थान दिया गया है।
थोल झील वन्यजीव अभयारण्य: मेहसाणा जिला स्थित यह अभयारण्य पक्षियों के मध्य एशियाई उड़ान मार्ग (फ्लाईवे) पर स्थित है और यहां 320 से अधिक पक्षी प्रजातियां पाई जा सकती हैं।
- यह आर्द्रभूमि 30 से अधिक संकटग्रस्त (threatened) जलपक्षी प्रजातियों की आश्रयस्थली भी है।
वाधवाना आर्द्रभूमि: वडोदरा जिला स्थित यह आर्द्र्भूमि अपने पक्षी जीवन के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर महत्वपूर्ण है। इनमें 80 से अधिक ऐसी प्रजातियां हैं, जो मध्य एशियाई उड़ान मार्ग में स्थान-स्थान पर प्रवास करती हैं।
सुल्तानपुर राष्ट्रीय उद्यान: गुरुग्राम स्थित यह उद्यान यहाँ रहने वाले पक्षियों, शीतकालीन प्रवासी और स्थानीय प्रवासी जलपक्षियों की 220 से अधिक प्रजातियों को उनके जीवन चक्र के महत्वपूर्ण चरणों में आश्रय देकर सम्भरण करता है।
भिंडावास वन्यजीव अभयारण्य: झज्जर स्थित हरियाणा की सबसे बड़ी यह आर्द्रभूमि मानव निर्मित होने के साथ ही मीठे जल वाली आर्द्रभूमि है। पूरे वर्ष 250 से अधिक पक्षी प्रजातियां इस अभयारण्य का उपयोग अपने विश्राम एवं प्रजनन स्थल के रूप में करती हैं।
रामसर अभिसमय: यह आर्द्रभूमि के संरक्षण और बुद्धिमतपूर्ण उपयोग के लिए एक अंतरराष्ट्रीय संधि है। इसका नाम ईरान के शहर रामसर के नाम पर रखा गया है, जहां 2 फरवरी, 1971 को संधि पर हस्ताक्षर किए गए थे।
सामयिक खबरें
- राजनीति और प्रशासन
- अवसंरचना
- आंतरिक सुरक्षा
- आदिवासियों से संबंधित मुद्दे
- कमजोर वर्गों के लिए कल्याणकारी योजनाएँ
- कार्यकारी और न्यायपालिका
- कार्यक्रम और योजनाएँ
- कृषि
- गरीबी और भूख
- जैवविविधता संरक्षण
- पर्यावरण
- पर्यावरण प्रदूषण, गिरावट और जलवायु परिवर्तन
- पारदर्शिता और जवाबदेही
- बैंकिंग व वित्त
- भारत को प्रभावित करने वाले द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह
- भारतीय अर्थव्यवस्था
- रक्षा और सुरक्षा
- राजव्यवस्था और शासन
- राजव्यवस्था और शासन
- रैंकिंग, रिपोर्ट, सर्वेक्षण और सूचकांक
- विज्ञान और प्रौद्योगिकी
- शिक्षा
- सरकार की नीतियां और हस्तक्षेप
- सांविधिक, विनियामक और अर्ध-न्यायिक निकाय
- स्वास्थ्य से संबंधित मुद्दे