सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 66ए
- 03 Aug 2021
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राज्यों और केंद्र-शासित प्रदेशों से अपने अधिकार क्षेत्र के सभी पुलिस थानों को सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की निरस्त धारा 66ए के तहत मामले दर्ज न करने का निर्देश देने का अनुरोध किया है।
- 2008 में यूपीए सरकार द्वारा पेश किया गया, ‘आईटी अधिनियम, 2000 संशोधन’ सरकार को कथित रूप से "आक्रामक और खतरनाक" ऑनलाइन पोस्ट के लिए एक व्यक्ति को गिरफ्तार करने और कैद करने की शक्ति प्रदान करता है।
- धारा 66ए ने पुलिस को अपने विवेक के अनुसार ‘आक्रामक’ या ‘खतरनाक’ के रूप में या झुंझलाहट, असुविधा आदि के प्रयोजनों के लिए गिरफ्तारी करने का अधिकार दिया है।
- इसने कंप्यूटर या किसी अन्य संचार उपकरण जैसे- मोबाइल फोन या टैबलेट केमाध्यम से संदेश भेजने के लिए दंड निर्धारित किया है, जिसमें एक दोषी को अधिकतम तीन साल की जेल हो सकती है।
- 2015 में, सुप्रीम कोर्ट ने 'श्रेया सिंघल बनाम भारत संघ' वाद में अपने फैसले में सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 66ए को निरस्त कर दिया था।
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