पश्चिमी घाट में दर्ज की गई घोंघे की नई प्रजाति
- 07 Jul 2021
'यूरोपियन जर्नल ऑफ टैक्सोनॉमी' (European Journal of Taxonomy) में प्रकाशित शोध के अनुसार पश्चिमी घाट में घोंघे की एक नई प्रजाति 'रात्रिचर अर्ध स्लग' (nocturnal semi slug) की पहचान की गई है, जो विज्ञान के लिए नई है।
महत्वपूर्ण तथ्य: इसका नाम 'वरदिया अंबोलेंसिस' (Varadia amboliensis) है, जो चमकदार भूरा या भूरा सफेद तथा गहरे अनियमित काले धब्बेदार त्वचा के साथ अधिकतम 6.9 सेमी लंबा है।
- इस नई भू- प्रजाति का नाम भारतीय सरीसृप विज्ञानी 'वरद गिरि' के नाम पर सरीसृप के अध्ययन और संरक्षण में उनके परिवर्तनकारी योगदान के लिए रखा गया है, जबकि प्रजाति का नाम 'अंबोलेंसिस' महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग जिले के अंबोली क्षेत्र को संदर्भित करता है।
- अर्ध-स्लग के खोल (shell) शरीर की तुलना में अपेक्षाकृत छोटे होते हैं, खोल अक्सर आंशिक रूप से या लगभग पूरी तरह से घोंघे की त्वचा 'मेंटल' (mantle) के विस्तार से ढके होते हैं।
- अर्ध-स्लग उत्तरी और मध्य पश्चिमी घाट में स्थानिक है और मुख्य रूप से प्राकृतिक वनों में पाया जाता है।
- यह रात में सबसे अधिक सक्रिय होता है और महाराष्ट्र, गोवा और कर्नाटक के कुछ ही इलाकों में पाया जाता है।
सामयिक खबरें
सामयिक खबरें
सामयिक खबरें
राष्ट्रीय
- राजनीति और प्रशासन
- अवसंरचना
- आंतरिक सुरक्षा
- आदिवासियों से संबंधित मुद्दे
- कमजोर वर्गों के लिए कल्याणकारी योजनाएँ
- कार्यकारी और न्यायपालिका
- कार्यक्रम और योजनाएँ
- कृषि
- गरीबी और भूख
- जैवविविधता संरक्षण
- पर्यावरण
- पर्यावरण प्रदूषण, गिरावट और जलवायु परिवर्तन
- पारदर्शिता और जवाबदेही
- बैंकिंग व वित्त
- भारत को प्रभावित करने वाले द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह
- भारतीय अर्थव्यवस्था
- रक्षा और सुरक्षा
- राजव्यवस्था और शासन
- राजव्यवस्था और शासन
- रैंकिंग, रिपोर्ट, सर्वेक्षण और सूचकांक
- विज्ञान और प्रौद्योगिकी
- शिक्षा
- सरकार की नीतियां और हस्तक्षेप
- सांविधिक, विनियामक और अर्ध-न्यायिक निकाय
- स्वास्थ्य से संबंधित मुद्दे