हिंदूकुश में पिघलते ग्लेशियर का प्रभाव
- 16 Jun 2021
जून 2021 में संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) के अध्ययन के अनुसार, हिंदूकुश हिमालय पर्वत शृंखला वर्ष 2100 तक दो-तिहाई बर्फ विहीन हो सकती है, जिससे दक्षिण-पूर्व एशिया में दो अरब लोगों को भोजन और पानी की कमी का सामना करना पड़ सकता है।
महत्वपूर्ण तथ्य: रिपोर्ट के अनुसार ग्लेशियरों के पिघलने का कारण वातावरण के बड़े मानव जनित संशोधन हैं।
- हिंदूकुश हिमालय पृथ्वी पर सबसे अधिक प्रदूषित स्थानों में से एक है। इससे कृषि, जलवायु और साथ ही मानसून के पैटर्न को खतरा है।
अनुशंसाएँ: ग्रीनहाउस गैसों के शुद्ध-शून्य उत्सर्जन को हासिल करने के लिए आहार और कृषि पद्धतियों को बदलने के साथ ही ऊर्जा, परिवहन और अन्य क्षेत्रों में जीवाश्म ईंधन के उपयोग को कम करना।
- इस क्षेत्र के देशों को ब्लैक कार्बन और अन्य वायु प्रदूषकों के उत्सर्जन को भी कम करने की आवश्यकता है।
हिंदूकुश हिमालय क्षेत्र: इसे अक्सर 'तीसरा ध्रुव' कहा जाता है, यह भारत, नेपाल और चीन सहित आठ देशों में 3,500 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है।
- इसमें अंटार्कटिका और आर्कटिक के बाद जमे हुए पानी का दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा भंडारण है।
- इस क्षेत्र के पहाड़ों में 240 मिलियन से अधिक लोग रहते हैं; 1.7 अरब लोग नदी घाटियों में नीचे की ओर रहते हैं, जबकि इन घाटियों में उगाया जाने वाला भोजन (अन्न) तीन अरब लोगों तक पहुंचता है।
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