स्वर्ण आभूषणों की अनिवार्य हॉलमार्किंग
- 16 Jun 2021
स्वर्ण आभूषणों की अनिवार्य हॉलमार्किंग व्यवस्था 16 जून, 2021 से प्रभावी हो गई है।
महत्वपूर्ण तथ्य: हॉलमार्किंग शुरू में देश के 256 जिलों में शुरू की गई है, जहां 'जांच अंकन केंद्र' (Assaying marking centres) हैं।
- नए प्रावधानों के तहत अतिरिक्त 20, 23 और 24 कैरेट के सोने की हॉलमार्किंग की भी अनुमति दी गई है।
- 40 लाख रुपये तक के सालाना कारोबार वाले ज्वैलर्स (जौहरियों) को हॉलमार्किंग की अनिवार्यता से छूट दी गई है। घड़ियों, फाउंटेन पेन में इस्तेमाल सोने और विशेष प्रकार के आभूषण कुंदन, पोल्की तथा जड़ाऊ आभूषणों पर अनिवार्य हॉलमार्किंग से छूट दी गई है।
- इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शनी के साथ-साथ सरकार की मंजूरी वाले बी2बी (व्यापारियों के बीच) घरेलू प्रदर्शनी के लिये भी अनिवार्य हॉलमार्किंग से छूट होगी।
- जौहरी, उपभोक्ताओं से बिना हॉलमार्क के पुराने स्वर्ण आभूषण वापस खरीद सकते हैं। पुराने आभूषणों को पिघलाने और नए आभूषण बनाने के बाद जौहरी द्वारा व्यवहार्यता के अनुसार हॉलमार्क किया जा सकता है।
- भारतीय मानक ब्यूरो की हॉलमार्किंग योजना के तहत, जौहरी हॉलमार्क वाले आभूषण बेचने के लिए पंजीकृत हैं। वर्तमान में, केवल 30% भारतीय स्वर्ण आभूषण हॉलमार्क वाले हैं।
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