इनर लाइन परमिट
- 04 Mar 2020
- हाल ही में, मेघालय में आदिवासी संगठनों ने राज्य में बाहरी लोगों के प्रवेश को प्रतिबंधित करने के लिए दोबारा इनर लाइन परमिट (ILP) व्यवस्था की मांग शुरू की है।ये मांगें राज्य भर में हिंसक विरोध प्रदर्शन में बदल गईं।
- मेघालय में इनर लाइन परमिट की मांग पिछले दो दशकों से अधिक समय से चली आ रही है और ‘खासी छात्रसंघ’ (KSU) इसे आगे बढ़ा रहा है।
ILP के बारे में
- इनर लाइन परमिट एक आधिकारिक यात्रा दस्तावेज़ है जो भारतीय नागरिकों को ILP व्यवस्था के तहत एक क्षेत्र में रहने की अनुमति देता है।
- दस्तावेज़ वर्तमान में अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, नागालैंड और मिजोरम में आने वाले यात्रियों के लिए आवश्यक है।
- ILP राज्य सरकार द्वारा जारी किया जाता है जो ऑनलाइन या व्यक्तिगत रूप से आवेदन कर प्राप्त किया जा सकता है।
- ज़ारी किए गए परमिट पर्यटकों, किरायेदारों तथा अन्य उद्देश्यों के लिए अलग-अलग प्रदान किए जाते हैं।
- दस्तावेज़ यात्रा की तारीखों को बताता है और उन विशेष क्षेत्रों को निर्दिष्ट करता है जिनमें ILP धारक यात्रा कर सकता है।परमिट में दिए गए समय का उलंघन करना आगंतुक के लिए अवैध है।
ILP की आवश्यकता
- स्वदेशी संस्कृति और परंपरा का संरक्षण करना।
- बाहरी प्रवासियों द्वारा सम्बंधित राज्य में अतिक्रमण को रोकना।
पृष्ठभूमि
- 1873 में अंग्रेजों नेअपनी सरकार के व्यावसायिक हितों की रक्षा करने के लिए बंगाल ईस्टर्न फ्रंटियर रेगुलेशन एक्ट लाया था, ताकि नामित क्षेत्रों में बाहरी लोगों के प्रवेश को रोका जा सके। इस अधिनियम को “ब्रिटिश नागरिकों (British subjects)” के क्षेत्रों में व्यापार करने से रोकने के लिए लाया गया था।
- परंतु विभाजन के बाद 1950 में भारत सरकार ने "ब्रिटिश नागरिक" को "भारत के नागरिक" के साथ बदल दिया और पूर्वोत्तर के भारतीय आदिवासी समुदायों के हितों की रक्षा के लिए ILP को बनाए रखा।
विदेशियों के लिए प्रावधान
ILP सिर्फ़ घरेलू पर्यटकों के लिए ही मान्य है। विदेशी पर्यटकों के लिए निम्न प्रावधान हैं
- मणिपुर: किसी परमिट की आवश्यकता नहीं है। लेकिन उन्हें पंजीकरण करना होगा।
- मिजोरम: किसी परमिट की आवश्यकता नहीं है। लेकिन पंजीकरण की आवश्यकता है।
- नागालैंड: किसी परमिट की आवश्यकता नहीं है। हालांकि, उन्हें पंजीकरण करने की ज़रूरत है।
- अरुणाचल प्रदेश: पर्यटकों को भारत सरकार के गृह मंत्रालय से इन दोनों में से कोई एक अर्थात संरक्षित क्षेत्र परमिट (Protected Area Permit - PAP) अथवा प्रतिबंधित क्षेत्र परमिट (Restricted Area Permit - RAP) की आवश्यकता होती है।
क्या मेघालय को ILP के तहत लाया जाना चाहिए?
- मेघालय में आदिवासियों के लिए ILP का बहुत महत्व है क्योंकि इससे दूसरों के बीच उनकी अर्थव्यवस्था पर दबाव पड़ेगा।
- स्थानीय लोगों का मानना है कि राज्य में अवैध प्रवासियों के प्रवास की जाँच केवल ILP के ज़रिये की जा सकती है।
- अवैध प्रवासियों को राज्य के जनसांख्यिकीय संतुलन के लिए ख़तरनाक माना जाता है क्योंकि यह मेघालय के आदिवासियों के नाजुक जनसांख्यिकीय संतुलन को बिगाड़ सकता है।
ILP और CAA में संबंध
- नागरिकता अधिनियम (CAA) पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से 31 दिसंबर 2014 के पहले से भारत आये गैर-मुस्लिम शरणार्थियों (हिंदुओं, जैन, सिख, बौद्ध, पारसी और ईसाई) को नागरिकता प्रदान करता है।
- मुख्य भारत के लोग नागरिकता अधिनियम को मुस्लिम विरोधी मान कर अधिनियम का विरोध कर रहे हैं जबकि उत्तर-पूर्व की चिंता बिलकुल अलग है।यदि अधिनियम को बगैर ILP के लागू किया जाता है तो CAA के तहत भारतीय नागरिक लाभार्थी बन जाएंगे और उन्हें देश में कहीं भी बसने की अनुमति होगी।
- ILP का कार्यान्वयन ILP प्रक्रिया के तहतशरणार्थियों को राज्यों में बसने से रोकता है।
- असम और त्रिपुरामें नागरिकता अधिनियम के खिलाफ सशस्त्र विद्रोह हो रहे है क्योंकि ये राज्य बांग्लादेश के साथ सबसे लंबी सीमाओं को साझा करते हैं और विभाजन के बाद से बंगाली भाषी अवैध शरणार्थियों के उच्च-प्रवाह से प्रभावित हैं।
- इसके अलावा पूर्वोत्तर राज्यों में 238 देशी जनजातियों रहती हैं, जो इस क्षेत्र की आबादी का 26% हिस्सा है। आदिवासी नेताओं को अवैध बंगाली भाषी शरणार्थियों की निरंतर आगमन, आदिवासी सभ्यता और संस्कृति की पहचान के लिए खतरा लगता है।