मानसून सत्र में 'प्रश्नकाल' और 'शून्यकाल' प्रतिबंधित
- 04 Sep 2020
- हाल ही में, कोरोना महामारी के मद्देनजर, संसद ने सूचित किया है कि संसद के मानसून सत्र के दौरान कोई प्रश्नकाल नहीं होगा और दोनों सदनों में शून्यकाल प्रतिबंधित रहेगा।
- विपक्षी सांसदों ने इस कदम की आलोचना करते हुए कहा कि इससे वे सरकार पर सवाल उठाने का अधिकार खो देंगे।
प्रश्नकाल
- प्रश्नकाल, संसदीय प्रक्रिया नियमों में उल्लिखित नहीं है।
- प्रश्नकाल के दौरान संसद सदस्य (सांसद) मंत्रियों से सवाल पूछते हैं और उन्हें अपने मंत्रालयों के कामकाज के लिए जवाबदेह ठहराते हैं अर्थात मंत्री, पूछे गए प्रश्नों के उत्तर देते हैं।
- सांसद जो प्रश्न पूछते हैं, वो मंत्रालयों द्वारा की गयी उपयुक्त कार्रवाई की जानकारी प्राप्त करने और उसेसक्रियता प्रदान करने के लिए तैयार किये जाते हैं।
- हालांकि, सवाल अन्य सदस्यों (सांसद जो मंत्री नहीं हैं) से भी पूछे जा सकते हैं।
- आमतौर पर प्रश्नकाल एक संसदीय बैठक का पहला घंटा होता है।
विनियमन
- संसद में प्रश्नकाल के दौरान हर पहलू से निपटने के लिए एक व्यापक नियम हैं।
- दोनों सदनों के पीठासीन अधिकारी प्रश्नकाल के संचालन के संबंध में अंतिम प्राधिकारी होते हैं।
पूछे जाने वाले प्रश्नों के प्रकारतारांकित प्रश्न
अतारांकित प्रश्न
लघु सूचना प्रश्न
निजी सदस्यों को प्रश्न
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आवृत्ति
- अब, सत्र के सभी दिनों में दोनों सदनों में प्रश्नकाल आयोजित किया जाता है। लेकिन दो दिन अपवाद स्वरूप होते हैं।
- जिस दिन राष्ट्रपति सेंट्रल हॉल में दोनों सदनों के सांसदों को संबोधित करते हैं, उस दिन कोई प्रश्नकाल नहीं होता है।
- साथ ही साथ जिस दिन वित्त मंत्री बजट पेश करते हैं उस दिन प्रश्नकाल निर्धारित नहीं होता है।
शून्यकाल
आधे घंटे की चर्चा
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पूछे जाने वाले प्रश्नों की प्रकृति
- संसदीय नियम सांसदों द्वारा पूछे जाने वाले प्रश्नों के बारे में दिशानिर्देश प्रदान करते हैं।
- यह प्रश्न भारत सरकार के उत्तरदायित्व के क्षेत्र से भी संबंधित होना चाहिए।
- प्रश्नों को उन मामलों के बारे में जानकारी नहीं लेनी चाहिए जो गुप्त हैं या अदालतों के समक्ष निर्णय के अधीन हैं।
- दोनों सदनों के पीठासीन अधिकारी अंत में तय करते हैं कि क्या सरकार द्वारा जवाब देने के लिए एक सांसद द्वारा उठाए गए प्रश्न को स्वीकार किया जाएगा या नहीं।
उत्तर देने की प्रक्रिया
- सांसदों द्वारा उठाए गए सवालों के जवाब को कारगर बनाने के लिए, मंत्रालयों को पांच समूहों में रखा जाता है।
- प्रत्येक समूह इसे आवंटित दिन पर सवालों के जवाब देता है।
- मंत्रालयों का यह समूह दोनों सदनों के लिए अलग-अलग है ताकि मंत्रियों को सवालों के जवाब देने के लिए एक सदन में उपस्थित किया जा सके।
पूछे जाने वाले प्रश्नों की संख्या की सीमा
- लोकसभा में, 1960 के दशक के उत्तरार्ध तक, एक दिन में पूछे जा सकने वाले अतारांकित प्रश्नों की संख्या की कोई सीमा नहीं थी।
- अब, संसद के नियम तारांकित और अतारांकित प्रश्नों की संख्या को सीमित करते हैं जो एक सांसद एक दिन में पूछ सकता है।
- तब तारांकित और अतारांकित श्रेणियों में सांसदों द्वारा पूछे गए प्रश्नों की कुल संख्या एक यादृच्छिक मतपत्र में डाल दी जाती है।
- लोकसभा में मतपत्र से, प्रश्नकाल के दौरान 20 तारांकित प्रश्न उत्तर के लिए चुने जाते हैं और 230 लिखित उत्तरों के लिए चुने जाते हैं।
महत्व
- प्रश्नकाल के दौरान है संसद सदस्य प्रशासन और सरकारी गतिविधि के हर पहलू पर प्रश्न पूछ सकते हैं।
- क्योंकि सदस्य प्रश्नकाल के दौरान प्रासंगिक जानकारी प्राप्त करने का प्रयास करते हैं अतः राष्ट्रीय के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्र में सरकार की नीतियों पर ज़ोर दिया जाता है।
- इससे वित्तीय अनियमितताएं उजागर हुई हैतथा डेटा और जानकारी निकालने में मदद मिली है।
हाल के प्रक्रियात्मक परिवर्तन
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