लखनऊ घोषणा
- 10 Feb 2020
- पहला भारत-अफ्रीका रक्षा मंत्री कॉन्क्लेव 6 फरवरी, 2020 को संपन्न हुआ. जो लखनऊ में चल रहे डिफेंस एक्सपो इंडिया 2020 (5 से 9 फरवरी) के संयोजन मेंआयोजित किया गया.
- सम्मेलन के दौरान, भारत,14 अफ्रीकी देशों के रक्षा मंत्रियों सहित 38 अन्य अफ्रीकी देशों के प्रमुख प्रतिनिधिमंडल शामिल थें.जिन्होंने इस संयुक्त घोषणा पत्र, अर्थात “ लखनऊ घोषणा ” को स्वीकार किया.
पृष्ठभूमि
- इससे पूर्व भारत और अफ्रीकी देशों ने सबसे पहले नई दिल्ली में भारत-अफ्रीका मंच शिखर सम्मेलन अप्रैल 2008,अदीस अबाबा में भारत-अफ्रीका मंच शिखर सम्मेलन- II मई 2011 और दिल्ली में आयोजित तीसरे भारत-अफ्रीका मंच शिखर सम्मेलन अक्टूबर 2015 के दौरांन विभिन्न घोषणाओं का एलान कर चुके हैं. इसके साथ सामरिक सहयोग के लिए भारत-अफ्रीका रूपरेखा को भी तैयार किया गया है.
- इन सभी घोषणाओं ने भारत और अफ्रीका के बीच बहुआयामी साझेदारी को मजबूत करने का काम किया.
घोषणा की प्रमुख झलकियाँ
शांति और सुरक्षा
- भारत और अफ्रीकी देश दोनों अपने-अपने क्षेत्रों में शांति और सुरक्षा की आवश्यकता पर बल देते हुएआपसी संघर्षों के रोकथाम, समाधान,प्रबंधन और शांति निर्माण के क्षेत्र में अपना सहयोग जारी रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं. जिसके लिए निम्नलिखित चीजें महत्वपूर्ण हैं:
- विशेषज्ञता और प्रशिक्षण का आदान-प्रदान
- क्षेत्रीय और महाद्वीपीय प्रारंभिक चेतावनी की क्षमता और तंत्र को मजबूत करना
- शांति को बनाए रखने और शांति की संस्कृति का प्रचार करने में महिलाओं की भूमिका बढ़ाना.
- इस संबंध में,अफ्रीका के काहिरा में शांति और सुरक्षा को लेकर अफ्रीकन यूनियंस इंटरनेशनल सेंटर फॉर कॉन्फ्लिक्ट रिजोल्यूशन,पीस कीपिंग एंड पीस बिल्डिंग की स्थापना की गयी. जिसकी विभिन्न देशों द्वारा सराहना की गई है.
आतंक
- घोषणा पत्र में शामिल सभी हस्ताक्षरकर्ता देश, आतंकवाद को एक बड़ाखतरा बताते हुए इसके सभी रूपों व अभिव्यक्तियों की जड़ों से उखाड़ फेंकने के लिए संकल्पित हैं. इसके साथ समस्त देशों ने आतंकवादियों के सुरक्षित ठिकानों और उनके बुनियादी ढांचे को नष्ट करने, आतंकियों के नेटवर्क को बाधित करने वइनकावित्त पोषण करने वाले माध्यमों को समाप्त करने के लिए कठोर कार्रवाई करने का आग्रह किया.
- यह कार्य अफ्रीका और भारत के आपसी सहयोग और समन्वय को बढ़ाने के साथ-साथ किया जाना चाहिए. ताकि आतंकवाद के विभिन्न रूपों और अभिव्यक्तियों के साथ मुकाबला करते हुए इस संक्रमणकालीन अपराध का निपटारा किया जा सके.
- संयुक्त राष्ट्र के आतंकवाद-रोधी तंत्र को मजबूत करने और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा आतंकवाद पर प्रतिबंधों का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए आग्रह किया गया कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय, संयुक्त राष्ट्र महासभा में अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद पर व्यापक सम्मेलन का विचार करे.
समुद्री सुरक्षा
- नीली अर्थव्यवस्था और महासागरीय अर्थव्यवस्था के विकास के लिए दोनों क्षेत्रों में समुद्री सुरक्षा को मजबूत करना एक महत्वपूर्ण शर्त है.
- सूचना के आदान-प्रदान और निगरानी के जरिए समुद्री अपराध, आपदा,डकैती, अवैध कार्य, अनियमितता से बचाव और बिना लाइसेंस के मछली पकड़ने वालों को रोका जा सकता है. इसके लिए आपसी सहयोग बढ़ाने का निर्णय लिया गया.
हिंद-प्रशांत क्षेत्र
- भारत और अफ्रीकी देशों ने हिंद-प्रशांत रणनीति के महत्वता को ध्यान में में रखते हुए घोषणा पत्र में कहा गया कि सभी सदस्य इंडो-पैसिफिक की विकसित अवधारणा को लेकर भारत और अफ्रीका के बीच सहयोग को बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करें.
- यह अफ्रीका में शांति और सुरक्षा के लिए अफ्रीकी संघ (AU) के लक्ष्य का समर्थन करता है जो भारत के दृष्टिकोण अर्थात सेक्युरिटी एंड ग्रोथ इन ऑल द रीजन (SAGAR) के साथ मेल खाता है.
रक्षा सहयोग
- सभी देशों ने रक्षा उद्योग के क्षेत्र में गहन सहयोग का आह्वान किया है. जिसमें निवेश, रक्षा उपकरण सॉफ्टवेयर में संयुक्त उद्यम, डिजिटल सुरक्षा, अनुसंधान और विकास, रक्षा उपकरणों की शर्तें,कल-पुर्जों व उनके रखरखाव के पारस्परिक शर्तें शामिल हैं.
- विभिन्न देशों के नेताओं ने अफ्रीका-इंडिया फील्ड प्रशिक्षण अभ्यास (AFINDEX) के प्रारंभ कीसराहना की. साथ ही साथ रक्षा तैयारियों व सुरक्षा में सहयोग को और भी मजबूत करने पर सहमति व्यक्त की.
अफ्रीका-भारत संयुक्त क्षेत्र प्रशिक्षण अभ्यास (AFINDEX)
अफ्रीकी संघ (AU)
एजेंडा 2063
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प्रभाव
- लखनऊ घोषणा भारत-अफ्रीका संबंध को एक प्रमुख प्रेरणा प्रदान करेगा. जो आतंकवाद और अतिवाद, समुद्री डकैती, मानव तस्करी, मादक पदार्थों की तस्करी, हथियार तस्करी आदि जैसी महत्वपूर्ण चुनौतियोंसे प्रभावी ढंग से निपटने व दोनों क्षेत्रों में शांति व्यवस्था बनाये रखने में मदद करेगा।
अफ्रीका का महत्व
- अफ्रीका आज‘आर्थिक विकास में तेजी,शैक्षिक और स्वास्थ्य मानकों में बढ़त, लिंगानुपात में बढ़त, बुनियादी ढांचे और संबंध (infrastructure Connectivity) के विस्तार’ के आधार पर एक विशिष्ट महाद्वीप है.
- हाल के वर्षों में अफ्रीकी महाद्वीप को भारतीय विदेश और आर्थिक नीति में सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई तथा राजनीतिक जुड़ाव में अभूतपूर्व तीव्रता आयी है.
- फिर उठ खड़ा होने वाला वाला अफ्रीका और उभरता भारत,दक्षिणी सहयोग को एक मजबूती दे सकता है. खासकर जब बात स्वच्छ तकनीकी, जलवायु के अनुसार कृषि, समुद्री सुरक्षा, संबंध और नीली अर्थव्यवस्था जैसे क्षेत्रों में चुनौतियों की आये.
- अर्थव्यवस्था की बात करें तो अफ्रीकी उपमहाद्वीप विभिन्न क्षेत्रों की भारतीय कंपनियों के लिए एक अच्छा बाजार प्रदान करता है. जैसे ऑटोमोबाइल, आईटी या रक्षा क्षेत्र.
- अफ्रीका और भारत के बीच व्यापार 2001 में 7.2 बिलियन अमरीकी डालर से आठ गुना बढ़कर 2017 में 59.9 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गया है.जो भारत के कुल व्यापार का 8 फीसदी है.
- ऊर्जा की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिएभारत के पास अपने कच्चे तेल का लगभग 18% स्रोत है और द्रवित प्राकृतिक गैस (LNG) की आवश्यकता ज्यादातर पश्चिम अफ्रीकी क्षेत्रों से है.
- भारत से अफ्रीका के कुल निर्यात का लगभग 75 प्रतिशत हिस्साप्राथमिक वस्तुओं और प्राकृतिक संसाधनों का है.
- भू-राजनीति के परिप्रेक्ष्य में,इन 54 अफ्रीकी देशों का संयुक्त राष्ट्र के सहयोगी देशों के रूप में होना भारत के लिए अनुकूल है क्योंकि ये राष्ट्र किसी भी प्रस्ताव को पारित करने में समर्थन कर सकते हैं.