गोवा रेल लाइन दोहरीकरण परियोजना के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पैनल
- 29 Apr 2021
सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति ने कहा है कि पर्यावरण विशेषज्ञों द्वारा विरोध की जा रही 'गोवा रेल लाइन दोहरीकरण परियोजना’ (Rail double-tracking project in Goa) शुरू करने का कोई औचित्य नहीं है।
- पैनल ने 23 अप्रैल, 2021 को अपनी रिपोर्ट में कहा कि इस प्रकार की परियोजना अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त जैव विविधता हॉटस्पॉट और देश के सबसे महत्वपूर्ण वन्यजीव गलियारों में से एक पश्चिमी घाट के अतिसंवेदनशील पारिस्थितिकी तंत्र को नष्ट कर देगी।
- ज्ञात हो कि कई स्थानीय समूहों ने भी तीन परियोजनाओं पर आपत्ति जताई थी, जिसमें दक्षिण पश्चिम रेलवे लाइन दोहरीकरण, एक राष्ट्रीय राजमार्ग के चार लेन और गोवा टमनार ट्रांसमिशन प्रोजेक्ट लिमिटेड (GTTPL) द्वारा एक बिजली ट्रांसमिशन लाइन बिछाने का काम शामिल था।
- इन परियोजनाओं से गोवा-कर्नाटक सीमा पर स्थित ‘भगवान महावीर वन्यजीव अभ्यारण्य’ और ‘मोलेम नेशनल पार्क’ की जैव विविधता बुरी तरह प्रभावित होने की आशंका है, इसके बावजूद इसे राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड (National Board for Wildlife-NBWL) की स्थाई समिति द्वारा मंजूरी मिल गई थी।
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