निर्धारित प्रक्रिया के बिना प्रत्यर्पित नहीं किए जाएंगे रोहिंग्या
- 13 Apr 2021
अप्रैल 2021 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार जम्मू में हिरासत में लिए गए रोहिंग्याओं को निर्धारित प्रक्रिया का पालन किए बिना म्यांमार प्रत्यर्पित नहीं किया जाएगा।
महत्वपूर्ण तथ्य: सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की इस दलील को स्वीकार किया है कि भारत में रोहिंग्या अवैध प्रवासी हैं और इन्हें विदेशी विषयक अधिनियम, 1946 के तहत सभी प्रक्रियाओं के अनुसार निर्वासित किया जाना चाहिए।
- ‘शरणार्थियों की स्थिति से संबंधित 1951 के संयुक्त राष्ट्र अभिसमय’ और उसके बाद ‘शरणार्थियों की स्थिति से संबंधित 1967 के प्रोटोकॉल’ के तहत, शरणार्थी शब्द किसी ऐसे व्यक्ति से संबंधित है, जो अपने मूल देश से बाहर है और जाति, धर्म, राष्ट्रीयता, एक विशेष सामाजिक समूह की सदस्यता या राजनीतिक विचारधारा के कारणों से उत्पीड़ित होने के डर के कारण वापस लौटने में असमर्थ या अनिच्छुक है।
- किसी भी देश के नागरिक न होने वाले व्यक्ति (Stateless persons) भी इस अर्थ में शरणार्थी हो सकते हैं, जहां मूल देश (नागरिकता) को उसके 'पूर्व निवास स्थान के देश' के रूप में समझा जाता है।
- भारत ने अतीत में शरणार्थियों का स्वागत किया है, और वर्तमान में यहाँ लगभग 300,000 लोगों को शरणार्थियों के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
- लेकिन भारत ‘शरणार्थियों की स्थिति से संबंधित 1951 के संयुक्त राष्ट्र अभिसमय’ और ‘शरणार्थियों की स्थिति से संबंधित 1967 के प्रोटोकॉल’’ का हस्ताक्षरकर्ता नहीं है। न ही भारत के पास कोई शरणार्थी नीति है और न ही भारत का कोई शरणार्थी से संबंधित कानून है।
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