आर्थिक समीक्षा 2020-2021
- 13 Feb 2021
केन्द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने 29 जनवरी, 2021 को संसद में आर्थिक समीक्षा 2020-21 पेश की। ‘कोविड योद्धाओं को’ समर्पित इस आर्थिक समीक्षा 2020-21 के महत्वपूर्ण तथ्य इस प्रकार हैं।
1. शताब्दियों में होने वाले संकट के दौरान जीवन और आजीविका की सुरक्षा
- कोविड-19 महामारी की शुरुआत के बाद भारत ने ध्यान केंद्रित किया। - जीवन और आजीविका की सुरक्षा पर
- शुरुआत में ही कड़े लॉकडाउन के कारण लोगों के जीवन की रक्षा करने तथा मध्य और लम्बी अवधि में आर्थिक सुधार के माध्यम से आजीविका सुरक्षित करने में सहायता मिली। ‘अत्यधिक अनिश्चितता की स्थिति में कम से कम नुकसान होने’ की नीति अपनाई गई। यह रणनीति प्रेरित थी। -हैन्सेन एंड सार्जेंट (2001) की नोबेल पुरस्कार से सम्मानित शोध से
- पहली तिमाही में जीडीपी पर 23.9 प्रतिशत की कमी, जबकि दूसरी तिमाही में जीडीपी में 7.5 प्रतिशत की कमी। यह दर्शाती है। -वी-शेप रिकवरी (V-shaped recovery)
- कोविड महामारी ने प्रभावित किया। -मांग और आपूर्ति दोनों को
- भारत एक मात्र देश था, जिसने उत्पादन क्षमताओं का कम से कम नुकसान सुनिश्चित करने के लिए घोषित किए। -- आपूर्ति बढ़ाने के लिए संरचनात्मक सुधार
- मांग में वृद्धि और रिकवरी में तेजी लाने के लिए एक सार्वजनिक निवेश कार्यक्रम है। -- नेशनल इंफ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन
2. अर्थव्यवस्था परिदृश्य 2020-21: प्रमुख तथ्य
- कोविड-19 महामारी के कारण पूरे विश्व को आर्थिक मंदी का सामना करना पड़ा। आकलन के अनुसार वैश्विक आर्थिक उत्पादन 2020 में कमी दर्ज की जाएगी। (आईएमएफ, जनवरी 2021 अनुमान) -- 3.5 प्रतिशत की
- भारत ने चार आयामों वाली रणनीति को अपनाया। -महामारी पर नियंत्रण,राजकोषीय नीति,वित्तीय नीति और लम्बी अवधि के संरचनात्मक सुधार
- वित्त वर्ष 2021-22 में भारत की वास्तविक जीडीपी (Real GDP) की विकास दर रहेगी। -11 प्रतिशत
- वित्त वर्ष 2021-22 में सांकेतिक जीडीपी (Nominal GDP) की विकास दर रहेगी। - 15.4 प्रतिशत
- ‘सरकारी खपत’ और ‘निर्यात’ ने विकास दर में और कमी नहीं आने दी, जबकि विकास दर को कम किया। -निवेश और निजी क्षेत्र खपत ने
- वित्त वर्ष 2020-21 की दूसरी छमाही में रिकवरी ‘सरकारी खपत’ के कारण होगी, जिसकी इतने प्रतिशत वृद्धि का अनुमान लगाया गया है। -17 प्रतिशत वृद्धि का
- वित्त वर्ष 2021 की दूसरी छमाही में निर्यात में और आयात में क्रमशः इतनी कमी आने का अनुमान है। -5.8 प्रतिशत तथा 11.3 प्रतिशत
- वित्त वर्ष 2021 में चालू खाता अधिशेष कितना होने का अनुमान है? -जीडीपी के 2 प्रतिशत के बराबर (17 वर्षों के बाद ऐसी स्थिति)
- आपूर्ति में वित्त वर्ष 21 के लिए सकल मूल्य वर्धन (Gross Value Added-GVA) की विकास दर -7.2 प्रतिशत रहने का अनुमान, यह वित्त वर्ष 20 में थी। -3.9 प्रतिशत
- कोविड-19 के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था को हुए नुकसान को कम करने में कृषि महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा, जिसकी विकास दर वित्त वर्ष 21 के लिए आंकी गई है। -3.4 प्रतिशत
- वित्त वर्ष 21 के दौरान उद्योग और सेवा क्षेत्र में क्रमशः इतनी कमी आने का अनुमान है। -9.6 प्रतिशत और 8.8 प्रतिशत की
- इन क्षेत्रों को सबसे अधिक नुकसान उठाना पड़ा। -सम्पर्क आधारित सेवा क्षेत्र, विनिर्माण और निर्माण क्षेत्रों को
- वित्त वर्ष 20-21 के दौरान निवेश के लिए सबसे पसंदीदा देश रहा। -भारत
- इस माह में कुल एफपीआई प्रवाह 9.8 बिलियन डॉलर रहा, जो महीने के संदर्भ में सर्वाधिक है। -- नवम्बर 2020 में
- उभरते हुए बाजारों में एक मात्र देश है, जिसे 2020 में इक्विटी के रूप में एफआईआई प्राप्त हुआ।-भारत
- रिकॉर्ड स्तर पर जीएसटी संग्रह ने औद्योगिक और वाणिज्यिक गतिविधियां को अनलॉक किया। -राज्य के अंदर और दो राज्यों के बीच आवागमन में बढ़ोतरी से
- वित्त वर्ष 2021 की पहली छमाही में चालू खाता अधिशेष। -जीडीपी का 3.1 प्रतिशत
- इस क्षेत्र के निर्यात में तेजी और मांग में कमी से निर्यात (वाणिज्यिक निर्यात में 21.2 प्रतिशत की कमी) की तुलना में आयात (वाणिज्यिक आयात में 39.7 प्रतिशत की कमी) में कमी आई। -सेवा क्षेत्र
- दिसंबर 2020 में विदेशी मुद्रा भंडार अगले कितने महीनों के आयात के लिए पर्याप्त है? -18 महीनों
- जीडीपी के अनुपात में विदेशी कर्ज मार्च 2020 के 20.6 प्रतिशत से बढ़कर सितंबर 2020 में कितने प्रतिशत हुआ है? -21.6 प्रतिशत
- वी (V) आकार में सुधार जारी है, जैसा कि प्रदर्शित हुआ है। -बिजली की मांग, इस्पात की खपत, ई-वे बिल, जीएसटी संग्रह आदि तेज उतार-चढ़ाव वाले संकेतकों में निरंतर बढ़ोतरी के रूप में
- भारत 6 दिन में बन गया है। -सबसे तेजी से 10 लाख टीके लगाने वाला देश
3. क्या विकास से ऋण स्थिरता को बढ़ावा मिलता है? हां, लेकिन ऋण स्थिरता से विकास को मजबूती नहीं मिलती है!
- विकास से ऋण स्थिरता को बढ़ावा मिलता है, लेकिन ऋण स्थिरता से विकास को गति मिलना जरूरी नहीं है। -भारतीय संदर्भ में
- ऋण स्थिरता‘ब्याज दर विकास दर के अंतर’ (Interest Rate Growth Rate Differential -IRGD) पर निर्भर करती है। अर्थात -एक अर्थव्यवस्था में ब्याज दर और विकास दर में अंतर
- किस नीति से सुनिश्चित हो सकता है कि उत्पादन क्षमता को होने वाले संभावित नुकसान को सीमित करके सुधारों का पूर्ण लाभ मिले? -सक्रिय राजकोषीय नीति
- विकास को गति देने वाली राजकोषीय नीति से बढ़ावा मिलने की संभावना है। -ऋण-जीडीपी अनुपात में कमी को
- आर्थिक सुस्ती के दौरान विकास को सक्षम बनाने के लिए इस नीति का उपयोग वांछनीय है। -चक्रीय-रोधी राजकोषीय नीति (counter-cyclical fiscal policy)
4.क्या भारत की सम्प्रभु क्रेडिट रेटिंग से उसके आधारभूत तत्वों का पता चलता है? नहीं!
- दुनिया की पांचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था को सम्प्रभु क्रेडिट रेटिंग में कभी भी यह सबसे कम निवेश ग्रेड नहीं दिया गया है। -बीबीबी-/बीएए 3 (BBB-/Baa3)
- अर्थव्यवस्था के आकार और उसकी कर्ज चुकाने की क्षमता प्रदर्शित करते हुए, दुनिया की पांचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था को मुख्य रूप से रेटिंग दी गई है। -एएए (AAA)
5.भारत की सम्प्रभु क्रेडिट रेटिंग से उसके आधारभूत तत्व प्रदर्शित नहीं होते हैं:
- किस संभावना के आधार पर क्रेडिट रेटिंग दी जाती है? -कर्ज चुकाने में चूक की संभावना (probability of default)
- किस पृष्ठभूमि के माध्यम से निस्संदेह रूप से भारत की भुगतान की इच्छा का पता चलता है? -शून्य सम्प्रभु डिफॉल्ट की (zero sovereign default)
- भारत की भुगतान क्षमता का आकलन किया जा सकता है। -कम विदेशी मुद्रा बहुल कर्ज और विदेशी मुद्रा भंडार के द्वारा
- भारत की राजकोषीय नीति से गुरुदेव रबिंद्रनाथ टैगोर की यह धारणा स्पष्ट होती है। -‘एक निर्भय मन’ (a mind without fear) धारणा
- सम्प्रभु क्रेडिट रेटिंग की विधि को अर्थव्यवस्थाओं के आधारभूत तत्वों का प्रदर्शन करते हुए होना चाहिए। -ज्यादा पारदर्शी, कम पक्षपातपूर्ण और ज्यादा व्यवस्थित
6. असमानता और विकास: संघर्ष या सम्मिलन?
- विकसित अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में भारत में असमानता और सामाजिक-आर्थिक परिणामों के साथ ही आर्थिक विकास और सामाजिक-आर्थिक परिणामों के बीच संबंध हैं। -अलग
- विकसित अर्थव्यवस्थाओं के विपरीत भारत में असमानता और प्रति व्यक्ति आय (विकास) का सामाजिक-आर्थिक संकेतकों के साथ संबंध हैं। -समान
- असमानता की तुलना में गरीबी उन्मूलन पर इसका ज्यादा प्रभाव होता है। -आर्थिक विकास का
- किसके लिए भारत का जोर आर्थिक विकास पर बना रहना चाहिए? -गरीबों को गरीबी से उबारने के लिए
7. आखिरकार, स्वास्थ्य पर हो मुख्य ध्यान!
- महामारियों की स्थिति में त्वरित प्रतिक्रिया हेतु भारत की स्वास्थ्य अवसंरचना। -कुशल होनी चाहिए
- किसने गरीबों तक प्रसव पूर्व / प्रसवोत्तर देखभाल की पहुंच के रूप में असमानता को दूर करने में अहम भूमिका निभाई है और संस्थागत डिलीवरी में उल्लेखनीय बढ़ोतरी की है? -राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम)
- किसके साथ सामंजस्य से एनएचएम को जारी रखने पर जोर दिया गया? -आयुष्मान भारत
- सार्वजनिक स्वास्थ्य देखभाल खर्च जीडीपी के 1 प्रतिशत से बढ़कर 2.5-3 प्रतिशत होने से स्वास्थ्य देखभाल पर लोगों द्वारा किए जाने वाले खर्च 65 प्रतिशत से घटकर कितना प्रतिशत होने का अनुमान है? -35 प्रतिशत
- असमान सूचना के चलते होने वाली बाजार विफलताओं को देखते हुए विचार किया जाना चाहिए। -स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए एक नियामक के गठन पर
- किसके द्वारा दूरस्थ चिकित्सा (telemedicine) के पूर्ण दोहन की जरूरत है? -इंटरनेट कनेक्टिविटी’ और ‘स्वास्थ्य अवसंरचना’ में निवेश
8. प्रक्रियागत सुधार
- किसके कारण तुलनात्मक रूप से प्रक्रिया के साथ बेहतर अनुपालन के बावजूद नियम निष्प्रभावी हो जाते हैं? -भारत में अर्थव्यवस्था के ज्यादा विनियमन के कारण
- अत्यधिक विनियमन की समस्या की मुख्य वजह वह दृष्टिकोण है, जो। -- हर संभावित निष्कर्ष के लिए प्रयास करता है
- अत्यधिक विनियमन की समस्या का समाधान है। -नियमों को सरल बनाया जाना और निरीक्षण पर ज्यादा जोर दिया जाना
9. नियामकीय राहत एक तात्कालिक उपचार है, कोई स्थायी उपाय नहीं!
- वैश्विक वित्तीय संकट के दौरान, नियामक राहत सहायता से कर्ज लेने वालों को अस्थायी सुविधा मिली। आर्थिक सुधार के बाद राहत सहायता लंबे समय तक जारी रही, जिससे अर्थव्यवस्था पर। -अवांछित नकारात्मक असर हुए
- बैंकों ने अपने बहीखातों को दुरुस्त करने के लिए इस राहत सुविधा का उपयोग किया और कर्ज का गलत आवंटन किया, जिससे अर्थव्यवस्था में नुकसान हुआ। -निवेश की गुणवत्ता को
- राहत सहायता एक तात्कालिक उपचार है। -जिसे अर्थव्यवस्था के सुधार प्रदर्शित करने के पहले अवसर पर बंद कर देना चाहिए, न कि स्थायी खुराक के रूप में इसे वर्षों तक जारी रखना चाहिए
- राहत सहायता वापस लिए जाने के तुरंत बाद अवश्य करानी चाहिए। -- एक परिसंपत्ति गुणवत्ता जांच
10. नवोन्मेष: बढ़ रहा है, लेकिन खासतौर से निजी क्षेत्र से अधिक समर्थन जरूरी
- भारत ने, वैश्विक नवोन्मेष सूचकांक की 2007 में शुरूआत के बाद से 2020 में पहली बार प्रवेश किया। -शीर्ष-50 नवोन्मेषी देशों के क्लब में (48वां स्थान)
- मध्य और दक्षिण एशिया में इस संदर्भ में वह पहले नंबर पर है और निम्न-मध्य-आय वर्ग की अर्थव्यवस्थाओं में वह इस नंबर पर है। -तीसरे
- अनुसंधान एवं विकास पर भारत का सकल घरेलू व्यय (Gross Domestic Expenditure on R&D- GERD) दस शीर्ष अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में है। -- सबसे कम
- भारत के किस क्षेत्र को अनुसंधान एवं विकास के क्षेत्र में निवेश में पर्याप्त वृद्धि करने की जरूरत है? -- व्यवसाय क्षेत्र (business sector)
- नवोन्मेष के क्षेत्र में अधिक सुधार लाने के लिए भारत को ध्यान देना चाहिए। -- संस्थानों और व्यवसाय अनुकूल नवोन्मेषी पहलों के प्रदर्शन को बेहतर बनाने पर
11. जय हो ‘पीएम-जेएवाई’ की शुरूआत और स्वास्थ्य संबंधी निष्कर्ष
- प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएमजेएवाई), जिसका उद्देश्य सबसे कमजोर तबके के लोगों को स्वास्थ्य देखभाल उपलब्ध कराना है, ने बहुत कम समय में स्वास्थ्य देखभाल के क्षेत्र में दृढ़ और सकारात्मक असर दिखाया है। भारत सरकार द्वारा इस महत्वाकांक्षी योजना की शुरुआत कब की गई थी? -2018 में
- पीएमजेएवाई का इस्तेमाल इस जैसे बार-बार किए जाने वाले किफायती उपचार के लिए किया गया और यह कोविड महामारी और लॉकडाउन के दौरान भी जारी रहा। -डायलिसिस
12.बुनियादी आवश्यकताएं
- 2012 के मुकाबले इस वर्ष में देश के सभी राज्यों में बुनियादी आवश्यकताओं तक लोगों की पहुंच में पर्याप्त सुधार दर्ज किया गया है। -2018 में
- केरल, पंजाब, हरियाणा और गुजरात में यह सर्वोच्च स्तर पर पाया गया, जबकि यह सबसे कम रहा। -ओडिशा, झारखंड, पश्चिम बंगाल और त्रिपुरा में
- इन पांच क्षेत्रों में काफी सुधार दिखाई दिया। -पानी, आवास, स्वच्छता, सूक्ष्म-पर्यावरण और अन्य सुविधाओं
- 2012 से 2018 के दौरान पिछड़े राज्यों को काफी लाभ मिलने से देश के सभी राज्यों के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में। -असमानता कम हुई है
- बुनियादी आवश्यकताओं तक पहुंच में सुधार से स्वास्थ्य संकेतकों में भी सुधार आया है। -शिशु मृत्यु दर तथा पांच साल से कम उम्र के बच्चों की मृत्युदर में कमी आई है
- देश के सभी राज्यों के ग्रामीण और शहरी इलाकों तथा अलग-अलग आय वर्गों की बुनियादी आवश्यकताओं पर पहुंच में अंतर को कम करने के लिए ये योजनायें उपयुक्त रणनीति तैयार कर सकती हैं। -जल जीवन मिशन, स्वच्छ भारत मिशन-ग्रामीण,प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण आदि योजनाएं
- उचित संकेतकों और तौर-तरीकों का इस्तेमाल कर जिला स्तर पर सभी लक्षित जिलों का इस पर आधारित एक व्यापक वार्षिक परिवार सर्वेक्षण आंकड़ा तैयार किया जा सकता है, जिसमें बुनियादी आवश्यकताओं तक लोगों की पहुंच का आकलन किया गया हो। -‘बेर नैसेसिटीज इंडेक्स’ (Bare Necessities Index) (बीएनआई) आधारित
13.राजकोषीय घटनाक्रम:
- 2020-21 में व्यय नीति का प्रारम्भिक लक्ष्य कमजोर तबकों को सहयोग और समर्थन उपलब्ध कराना था, लेकिन लॉकडाउन समाप्त होने के बाद इसमें बदलाव कर इसे बनाया गया। -सकल मांग को बढ़ाने और पूंजीगत व्यय के अनुरूप
- जीएसटी की शुरूआत के बाद से लेकर पिछले तीन महीने में, मासिक जीएसटी संग्रह, एक लाख करोड़ के आंकड़े को पार कर गया है और इस माह में यह उच्चतम स्तर पर पहुंच गया। -दिसम्बर 2020
14.वैदेशिक क्षेत्र
- भारत का वस्तु व्यापार घाटा कम होकर अप्रैल-दिसम्बर 2020 में 57.5 बिलियन डॉलर रहा, जबकि पिछले वर्ष की इसी अवधि में यह था। -125.9 बिलियन डॉलर
- सितम्बर 2020 के अंत में भारत का बाहरी ऋण 556.2 बिलियन डॉलर रहा, जोकि मार्च 2020 के अंत की तुलना में कम है। -2.0 बिलियन डॉलर (0.4 प्रतिशत)
- निर्यात को बढ़ावा देने के लिये की गई पहल। -उत्पाद सम्बंधित प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना, निर्यात किये जाने वाले उत्पादो से करों और शुल्कों में छूट (आरओडीटीईपी) तथा आवागमन ढांचे और डिजिटल पहल में सुधार
15. मौद्रिक प्रबंधन और वित्तीय मध्यस्थता
- 2020 के दौरान सुविधाजनक मौद्रिक नीति: रेपो दर में मार्च 2020 से कमी की गई। -115 आधार अंकों की
- वित्त वर्ष 2020-21 में क्रमबद्ध तरलता में अधिकता बनी रही। भारतीय रिजर्व बैंक ने कई तरह के परम्परागत और गैर-परम्परागत उपाय किये, इनमें शामिल हैं। -मुक्त बाजार संचालन, दीर्घावधि रेपो संचालन तथा लक्षित दीर्घावधि रेपो संचालन
- अनुसूचित व्यावसायिक बैंकों की कुल डूबी हुई परिसंपत्तियों में मार्च 2020 के अंत तक 8.21 प्रतिशत से सितंबर 2020 के अंत में कितने प्रतिशत तक गिरावट दर्ज की गई? -7.49 प्रतिशत
- अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों की दिवाला एवं दिवालियापन संहिता (आईबीसी) के माध्यम से रिकवरी दर रही। -45 प्रतिशत से ऊपर
16.कीमतें और मुद्रास्फीति
- प्रमुख उपभोक्ता मूल्य सूचकांक महंगाई दर अप्रैल से दिसंबर 2020 के दौरान औसतन 6.6 प्रतिशत पर रही, मुख्य रूप से खाद्य महंगाई दर में वृद्धि के कारण दिसंबर 2020 में आ गई। -4.6 प्रतिशत पर
- उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) हेडलाइन और उसके उप-समूहों में मुद्रा स्फीति देखी गई। -- अप्रैल-अक्टूबर, 2020 के दौरान
- सीपीआई मुद्रा स्फीति में ग्रामीण-शहरी अंतर में कमी दर्ज की गई। -वर्ष 2020 में
- अप्रैल-दिसंबर, 2019 तथा अप्रैल-दिसंबर, 2020-21 के दौरान सीपीआई मुद्रा स्फीति का सबसे बड़ा कारक है। -खाद्य एवं पेय समूह
- भोजन की थाली में शामिल वस्तुओं की कीमतों में बढ़ोतरी हुई। -जून 2020 से नवंबर 2020 की अवधि में
- मौजूदा वर्ष में अधिकतर राज्यों में बढ़ोतरी हुई। -- ‘उपभोक्ता मूल्य सूचकांक -संयुक्त' पर आधारित (CPI-C) मुद्रा स्फीति में
- सूचकांक में भोजन संबंधी मदों पर भारी खर्च के कारण सीपीआई-सी मुद्रा स्फीति में अहम भूमिका है। -खाद्य मुद्रास्फीति की
- भोजन मदों की कीमतों को स्थिर करने के लिए उठाए गए कदम। -प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध,प्याज के भंडारण की स्टॉक सीमा का निर्धारण तथा दालों के आयात पर प्रतिबंधों में कमी
- कोविड-19 के दौरान सोने में अधिक निवेश करने से हुई। -इसकी कीमतों में जबरदस्त बढ़ोतरी
17.सतत विकास एवं जलवायु परिवर्तन
- सतत विकास पर संयुक्त राष्ट्र उच्च स्तरीय राजनीतिक मंच (एचएलपीएफ) को पेश की गई।-स्वैच्छिक राष्ट्रीय समीक्षा (Voluntary National Review- VNR)
- 2030 एजेंडा के तहत लक्ष्यों को प्राप्त करने के उद्देश्य से किसी भी रणनीति के लिए महत्वपूर्ण है।– सतत विकास लक्ष्यों का स्थानीयकरण
- सतत विकास के उद्देश्यों के क्रियान्वयन के लिए संस्थागत ढांचों का निर्माण किया गया है और इनमें बेहतर समन्वय एवं समायोजन के लिए इस स्तर पर प्रत्येक विभाग में एक नोडल प्रक्रिया भी स्थापित की गई है। -जिला स्तर
- जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्य योजना (एनएपीसीसी) के तहत 8 राष्ट्रीय मिशनों की स्थापना की गई है, इनका मुख्य उद्देश्य है। -अनुकूलन, जलवायु परिवर्तन के संकटों से निपटने और इनसे सम्बद्ध तैयारी करने पर
- भारत की राष्ट्रीय प्रतिबद्धता योगदान (एनडीसी) के अनुसार जलवायु परिवर्तन कार्य योजना के लिए किसकी अहम भूमिका है? -वित्त की
- वैश्विक बॉन्ड बाजारों में कुल वृद्धि के बावजूद वर्ष 2019 से 2020 की पहली छमाही में किन बॉन्ड को जारी किए जाने की प्रक्रिया धीमी हुई है? -हरित बॉन्ड
- अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए) ने वैश्विक स्तर पर सौर ऊर्जा के क्षेत्र में क्रांति लाने के उद्देश्य से दो नई पहल शुरू की है। -‘विश्व सौर बैंक’ और ‘एक सूर्य, एक विश्व, एक ग्रिड’
18.कृषि और खाद्य प्रबंधन
- भारत के कृषि (और सहायक कार्य) क्षेत्र में कोविड-19 के कारण हुए लॉकडाउन जैसी प्रतिकूल परिस्थितियों के बीच लचीलापन देखने को मिला, जहां 2020-21 के दौरान स्थिर मूल्यों पर वृद्धि देखने को मिली। -3.4 प्रतिशत की (पहला अग्रिम अनुमान)
- देश के सकल मूल्य वर्धन (जीवीए) में कृषि और सहायक क्षेत्रों की हिस्सेदारी वर्ष 2019-20 के लिए स्थिर मूल्यों पर कितने प्रतिशत रही (राष्ट्रीय आय के सीएसओ-अनंतिम अनुमान 29 मई, 2020) ? -17.8 प्रतिशत
- चौथे अग्रिम अनुमानों के अनुसार कृषि वर्ष 2019-20 में देश में कुल खाद्यान्न उत्पादन 296.95 मिलियन टन रहा, जो 2018-19 से कितने मिलियन टन अधिक है? -11.44 मिलियन टन
- फरवरी 2020 की बजट घोषणा के बाद प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) प्रदान करने के लिए दुग्ध सहाकारिता और दुग्ध उत्पादन कंपनियों के कितने डेयरी किसानों को लक्षित किया गया? -1.5 करोड़
- जनवरी 2021 के मध्य तक मछुआरों और मत्स्य पालकों को कितने किसान क्रेडिट कार्ड जारी किये गये? -44,673
- प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में वर्ष-दर-वर्ष 5.5 करोड़ किसानों के आवेदनों को शामिल किया गया है। 12 जनवरी, 2021 तक कितनी राशि के दावों का भुगतान किया गया? -90,000 करोड़ रुपये
- वर्ष 2019-20 के दौरान मत्स्य उत्पादन पहुंच गया। -सबसे अधिक 14.16 मिलियन मीट्रिक टन तक
- खाद्य प्रसंस्करण उद्योग (एफपीआई) क्षेत्र करीब इतने प्रतिशत औसत वार्षिक वृद्धि दर (एएजीआर) पर बढ़ रहा है। -- 9.99%
- प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के अंतर्गत एनएफएसए अधिदेश की जरूरत से ऊपर नवम्बर 2020 तक इतने लाभार्थियों को मुफ्त अनाज प्रदान किया गया। -80.96 करोड़ लाभार्थियों
19. उद्योग और बुनियादी ढांचा
- औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) और 8 प्रमुख सूचकांक के विभिन्न उपघटकों में कोविड संकटपूर्व स्तरों की तरफ सतत संचालन से। - ‘वी’ आकार का सुधार हुआ (V-shaped recovery)
- भारत की जीडीपी के कितने प्रतिशत प्रोत्साहन पैकेज के साथ ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ घोषित किया गया? -15 प्रतिशत
- ईज ऑफ डूइंग बिजनेस (ईओडीबी) 2020 रिपोर्ट में वर्ष 2019 के लिए सूचकांक में भारत की रैंक ऊपर उठकर 63वें स्थान पर आ गई, जो 2018 में डूइंग बिजनेस रिपोर्ट के अनुसार था। -77वें स्थान पर
20.सेवा क्षेत्र
- भारत का सेवा क्षेत्र कोविड-19 महामारी के बाद लागू लॉकडाउन के दौरान वित्त वर्ष 2020-21 की पहली छमाही के दौरान करीब 16 प्रतिशत तक संकुचित रहा, ऐसा हुआ। -इसकी संपर्क -गहन प्रकृति (contact-intensive nature) के कारण
- इन प्रमुख संकेतकों में लॉकडाउन के दौरान भारी गिरावट के बाद तेजी देखने को मिली। -- सेवा खरीद प्रबंधक सूचकांक, रेल माल यातायात और बंदरगाह यातायात
- वैश्विक स्तर पर बाधाओं के बावजूद भारत के सेवा क्षेत्र में एफडीआई अंतर्वाह अप्रैल-सितम्बर 2020 के दौरान वर्ष दर वर्ष तेजी से बढ़कर 34 प्रतिशत हो गया, जिसके परिणाम स्वरूप यह पहुँच गया। -- 23.6 बिलियन डॉलर
- सेवा क्षेत्र, भारत के जीवीए का 54 प्रतिशत से अधिक है और सेवा क्षेत्र भारत में एफडीआई के कुल अंतर्वाह का कितना हिस्सा है? -- चार-पांचवां (four- Fifth)
- सेवा क्षेत्र का कुल निर्यात में हिस्सा है। -48 प्रतिशत (जो हाल के वर्षों में वस्तुओं के निर्यात से अधिक है)
- बंदरगाहों में जहाजों के आगमन और उनके रवाना होने का समय 2010-11 में 4.67 दिन था, जो 2019-20 में घटकर हो गया। -2.62 दिन
- कोविड-19 महामारी के बीच भारतीय स्टार्ट-अप इकोसिस्टम अच्छी प्रगति कर रहा है, पिछले वर्ष इस सूची में 12 स्टार्ट-अप जुड़े हैं। नैस्कॉम टेक स्टार्ट-अप रिपोर्ट 2021 के अनुसार फिलहाल देश में कितने यूनिकॉर्न दर्जे वाले स्टार्ट-अप हैं? – 38
- भारत का अंतरिक्ष क्षेत्र पिछले छ: दशकों में काफी तेजी से आगे बढ़ा है। वर्ष 2019-20 में अंतरिक्ष कार्यक्रम पर खर्च किए गए। -लगभग 1.8 बिलियन डॉलर
21. सामाजिक बुनियादी ढांचा, रोजगार और मानव विकास
- जीडीपी के प्रतिशत के रूप में सामाजिक क्षेत्र का मिला-जुला (केन्द्र और राज्यों) खर्च पिछले वर्ष की तुलना में 2020-21 में। -बढ़ा है
- भारत का प्रति व्यक्ति जीएनआई (2017 पीपीपी डॉलर) 2018 के 6,427 डॉलर के मुकाबले 2019 में बढ़कर हो गया। -6,681 डॉलर
- जन्म के समय जीवन प्रत्याशा 2018 के 69.4 वर्ष से बढ़कर 2019 में हो गई। -69.7 वर्ष
- महामारी के दौरान ऑनलाइन अध्ययन और रिमोट वर्किंग के कारण बढ़ गया। -डेटा नेटवर्क, इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों जैसे कम्प्यूटर, लैपटॉप, स्मार्ट फोन आदि तक पहुंच का महत्व
- जनवरी 2019 - मार्च 2020 (पीएलएफएस के तिमाही सर्वेक्षण) की अवधि के दौरान शहरी क्षेत्र में कार्यबल का अधिकतर हिस्सा कार्यरत था। -नियमित मजदूरी/वेतन के रूप में
- इस कार्यक्रम के तहत वृद्धों, विधवाओं और दिव्यांग लाभाथियों को मार्च 2020 में घोषित प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज के अंतर्गत 1000 रुपये तक का नकद हस्तांतरण किया गया। -- राष्ट्रीय सुरक्षा सहायता कार्यक्रम
- प्रधानमंत्री जनधन योजना के तहत महिला लाभार्थियों के बैंक खातों में तीन महीने तक 500 रुपये की राशि का सीधे हस्तांतरण किया गया, जिसके लिए धनराशि खर्च की गई। -कुल 20.64 करोड़ रुपये
- 63 लाख महिला स्व-सहायता समूहों के लिए कोलेटरल मुक्त ऋण की सीमा 10 लाख रुपये से बढ़ाकर कर दी गई। -20 लाख रुपये
- महात्मा गांधी नरेगा (MGNREGA) के अंतर्गत मजदूरी कब से 182 रुपये से बढ़ाकर 202 रुपये कर दी गई? -1 अप्रैल, 2020 से
22.देश की कोविड-19के खिलाफ लड़ाई
- देश ने आत्मनिर्भरता हासिल की। -आवश्यक दवाओं,हैंड सेनिटाइजर, मास्क,पीपीई किट, वेंटिलेटरों,कोविड-19 जांच और इलाज सुविधाओं सहित रक्षात्मक उपकरणों में
- देश में निर्मित दो टीकों के जरिए दुनिया के सबसे बड़े कोविड-19 टीकाकरण कार्यक्रम की शुरुआत की गई। -16 जनवरी, 2021 को