संविधान की सातवीं अनुसूची पर पुनर्विचार की आवश्यकता
- 29 Dec 2020
दिसंबर 2020 में पंद्रहवें वित्त आयोग के अध्यक्ष एन के सिंह ने संविधान की सातवीं अनुसूची पर पुनर्विचार किये जाने की आवश्यकता को रेखांकित किया और कहा कि योजना आयोग की समाप्ति द्वारा बनाए गए एक 'संस्थागत निर्वात' (institutional vacuum) को भरने की आवश्यकता है।
महत्वपूर्ण तथ्य: उन्होंने इस बात पर भी बल दिया कि वित्त आयोग और जीएसटी परिषद के बीच एक समन्वय तंत्र अब एक 'अनिवार्य आवश्यकता' बन गया है क्योंकि दोनों ही संवैधानिक निकाय राजस्व और अनिश्चितता से जूझ रहे हैं।
- राज्य, नीति आयोग और राष्ट्रीय विकास परिषद से परे केंद्र के साथ एक अलग तरह के 'नीति-आधारित परामर्शदात्री मंच' के इच्छुक हैं।
सातवीं अनुसूची: सातवीं अनुसूची संविधान के अनुच्छेद 246 के तहत संघ और राज्यों के बीच शक्तियों के विभाजन से संबंधित है। इसमें तीन सूचियाँ सम्मिलित हैं- संघ सूची, राज्य सूची और समवर्ती सूची।
- संघीय सूची के तहत शामिल विषयों पर केन्द्र सरकार को कानून बनाने का अधिकार है, तथा राज्य सरकारों को राज्य सूची में शामिल विषयों पर कानून बनाने के अधिकार दिये गये हैं।
- समवर्ती सूची के तहत शामिल विषयों पर केन्द्र और राज्य दोनों को कानून बनाने के अधिकार दिये गये हैं, लेकिन किसी विवाद की स्थिति में केन्द्र के कानून ही मान्य होंगे।
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