थारू जनजाति की अनूठी संस्कृति के लिए योजना
- 25 Dec 2020
उत्तर प्रदेश सरकार ने दिसंबर 2020 में ‘थारू जनजाति’ की अनूठी संस्कृति के लिए एक योजना शुरू की है।
उद्देश्य: थारू जनजातीय गांवों को पर्यटन मानचित्र पर लाना, रोजगार सृजन करना और क्षेत्र में जनजातीय आबादी को आर्थिक स्वतंत्रता प्रदान करना।
- उत्तर प्रदेश सरकार नेपाल की अंतरराष्ट्रीय सीमा वाले जिलों बलरामपुर, बहराइच, लखीमपुर और पीलीभीत में स्थित थारू जनजातीय लोगों के गाँवों को उत्तर प्रदेश वन विभाग की ‘होमस्टे योजना’ से जोड़ने की योजना बना रही है।
- इसके तहत पर्यटकों को थारू जनजातीय लोगों के प्राकृतिक आवास (पारंपरिक झोपड़ियों) में रहने का अनुभव प्रदान किया जाएगा। ये झोपड़ियाँ जंगल से एकत्रित घास से बनाई जाती हैं।
- थारू जनजातीय लोग पर्यटकों को घर के भोजन और आवास के लिए उनसे शुल्क प्राप्त करेंगे। इस योजना के तहत घरेलू और अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों की भागीदारी अपेक्षित है।
थारू जनजाति: यह जनजाति शिवालिक या निचले हिमालय में स्थित तराई क्षेत्रों से संबंधित हैं। इनमें से ज्यादातर वनवासी हैं, और कुछ कृषि कार्य करते हैं। हैं। थारू शब्द का अर्थ है ‘थेरवाद बौद्ध धर्म के अनुयायी’।
- थारू जनजातीय लोग नेपाल और भारत दोनों देशों में निवास करते हैं। भारत में थारू जनजाति के लोग बिहार, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में रहते हैं। ये थारू भाषा बोलते हैं, जो इंडो-आर्यन उपसमूह और उर्दू, हिंदी और अवधी से ही संबंधित हैं।
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