संयुक्त राष्ट्र द्वारा अपनाए गए परमाणु निरस्त्रीकरण पर दो भारतीय प्रस्ताव
- 10 Nov 2020
‘संयुक्त राष्ट्र महासभा की प्रथम समिति’ (The first committee of the UNGA) ने परमाणु निरस्त्रीकरण पर भारत द्वारा प्रस्तुत दो प्रस्तावों को स्वीकार कर लिया है।
उद्देश्य: परमाणु दुर्घटनाओं के जोखिम को कम करना और परमाणु हथियारों के उपयोग पर रोक लगाना।
महत्वपूर्ण तथ्य: संयुक्त राष्ट्र महासभा की प्रथम समिति ‘संयुक्त राष्ट्र निरस्त्रीकरण आयोग’ (United Nations Disarmament Commission) और जिनेवा स्थित ‘निरस्त्रीकरण सम्मेलन’ (Conference on Disarmament) नामक संस्था के साथ मिलकर निरस्त्रीकरण के मुद्दों का समाधान करती है।
- स्वीकार किये गये प्रस्तावों में ‘परमाणु हथियार’ क्लस्टर के तहत ‘परमाणु हथियारों के उपयोग पर प्रतिबंध पर कन्वेंशन’ (Convention on the Prohibition of the Use of Nuclear Weapons) और ‘परमाणु खतरे को कम करना’ (Reducing Nuclear Danger) शामिल है।
परमाणु हथियारों के उपयोग के प्रतिबंध संबंधी प्रस्ताव: यह प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्र सदस्यों के बहुमत द्वारा समर्थित था और 1982 के बाद से इसे भारत द्वारा प्रस्तावित किया गया था।
- इसमें ‘निरस्त्रीकरण पर सम्मेलन’ (Conference on Disarmament) की बात कही गई है, ताकि किसी भी परिस्थिति में ‘परमाणु हथियार के प्रयोग पर रोक लगाने हेतु अंतरराष्ट्रीय कन्वेंशन’ पर बातचीत शुरू की जा सके।
परमाणु खतरे को कम करने संबंधी प्रस्ताव: 1998 में प्रस्तुत किया गया यह प्रस्ताव, ‘परमाणु हथियारों के अनजाने में या आकस्मिक उपयोग’ के बारे में ध्यान केन्द्रित करने और ‘परमाणु सिद्धांतों की समीक्षा’ की आवश्यकता को रेखांकित करता है।
- प्रस्ताव ऐसे जोखिमों को कम करने के लिए ठोस कदमों की मांग करता है, जिनमें परमाणु हथियारों को ‘डी-अलर्ट’ de-alert (एक निर्णय के बाद परमाणु हथियारों को लॉन्च करने में लगने वाले समय की मात्रा को लंबा करना) और ‘डी-टारगेट’ (de- target) करना शामिल है।
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