बैंकिंग नियमन (संशोधन) विधेयक 2020
- 23 Sep 2020
22 सितंबर, 2020 को संसद द्वारा बैंकिंग नियमन (संशोधन) विधेयक, 2020 पारित किया गया।
उद्देश्य: जमाकर्ताओं के हितों की रक्षा करना।
मुख्य प्रावधान: संशोधित विधेयक जून 2020 में जारी अध्यादेश का स्थान लेगा। विधेयक में बैंकिंग विनियमन अधिनियम 1949 की धारा-3, धारा-45 और धारा-56 में संशोधन का प्रस्ताव है। इससे नियम कानून की दृष्टि से सहकारी बैंकों और वाणिज्यिक बैंकों में एकरूपता लाई जा सकेगी।
- विधेयक के तहत रिजर्व बैंक को ऋण स्थगन (Moratorium) के बिना पुनर्गठन या एकीकरण की योजना शुरू करने की अनुमति दी गई है। अगर मौजूदा प्रतिबंधों के अलावा ऋण स्थगन किया जाता है तो बैंक इस दौरान कोई ऋण मंजूर नहीं कर सकेंगे या किसी ऋण पत्र में निवेश नहीं कर सकेंगे।
- आरबीआई सहकारी बैंकों के चेयरपर्सन के रोजगार की शर्तों और योग्यता को निर्दिष्ट कर सकता है। आरबीआई ऐसे चेयरपर्सन को हटा सकता है जोकि ‘फिट और उचित’ के मानदंड पर खरा न उतरे और उपयुक्त व्यक्ति को नियुक्त कर सकता है।
- प्राथमिक कृषि ऋण समितियों को इस विधेयक के दायरे में नहीं रखा गया है। जो सहकारी समितियां अपने नाम के साथ ‘बैंक’ शब्द का इस्तेमाल नहीं करती हैं और चेकों का समाशोधन नहीं करतीं हैं उन्हें इस विधेयक के दायरे से बाहर रखा गया है।
सामयिक खबरें
सामयिक खबरें
सामयिक खबरें
राष्ट्रीय
- राजनीति और प्रशासन
- अवसंरचना
- आंतरिक सुरक्षा
- आदिवासियों से संबंधित मुद्दे
- कमजोर वर्गों के लिए कल्याणकारी योजनाएँ
- कार्यकारी और न्यायपालिका
- कार्यक्रम और योजनाएँ
- कृषि
- गरीबी और भूख
- जैवविविधता संरक्षण
- पर्यावरण
- पर्यावरण प्रदूषण, गिरावट और जलवायु परिवर्तन
- पारदर्शिता और जवाबदेही
- बैंकिंग व वित्त
- भारत को प्रभावित करने वाले द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह
- भारतीय अर्थव्यवस्था
- रक्षा और सुरक्षा
- राजव्यवस्था और शासन
- राजव्यवस्था और शासन
- रैंकिंग, रिपोर्ट, सर्वेक्षण और सूचकांक
- विज्ञान और प्रौद्योगिकी
- शिक्षा
- सरकार की नीतियां और हस्तक्षेप
- सांविधिक, विनियामक और अर्ध-न्यायिक निकाय
- स्वास्थ्य से संबंधित मुद्दे