जीएम फसलों की खेती पर अध्ययन
- 16 Sep 2020
( 15 September, 2020, , www.pib.gov.in )
केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने 15 सितंबर, 2020 को संसद में 'जीएम फसलों की खेती पर अध्ययन' की जानकारी दी।
महत्वपूर्ण तथ्य: बीटी कपास एकमात्र आनुवंशिक रूप से संवर्द्धित (जीएम) फसल है, जिसे 2002 में भारत सरकार द्वारा व्यावसायिक खेती के लिए अनुमोदित किया गया था।
- आईसीएआर द्वारा बीटी कपास के प्रभाव पर दीर्घकालिक अध्ययन किए गए थे जो मृदा, और पशु स्वास्थ्य पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं दिखाते थे।
- हालांकि, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, पर्यावरण और वन संबंधी संसदीय स्थायी समिति ने 2017 में संसद में प्रस्तुत 'आनुवंशिक रूप से संवर्द्धित फसलों और पर्यावरण पर इसके प्रभाव' पर अपनी रिपोर्ट में जीएम फसलों के लाभ और सुरक्षा के महत्वपूर्ण वैज्ञानिक मूल्यांकन के बाद ही देश में पेश किए जाने की सिफारिश की थी।
- बीटी बैंगन को 2009 में GEAC द्वारा अनुमोदित किया गया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त तकनीकी विशेषज्ञ समिति (टीईसी) द्वारा जीएम फसलों पर लगाए गए 10 वर्षों के स्थगन के कारण, व्यावसायीकरण पर आगे कोई कार्रवाई नहीं की गई।
- GEAC द्वारा पर्यावरण जैव सुरक्षा पर पूर्ण सुरक्षा मूल्यांकन की सलाह के चलते दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा विकसित जीएम सरसों 'धारा मस्टर्ड हाइब्रिड 11' (DMH 11) व्यावसायिक रिलीज के लिए लंबित है।
- आईसीएआर द्वारा 2005 में तुअर, चना, ज्वार, आलू, बैंगन, टमाटर और केले से संबंधित जीएम फसलों के विकास के लिए 'फसलों में ट्रांसजेनिक पर नेटवर्क परियोजना' (वर्तमान में फसल में क्रियाशील जीनोमिक्स और अनुवंशिक संशोधन पर नेटवर्क परियोजना) शुरू की गई थी।
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