मुलगांवकर सिद्धांत
- 03 Sep 2020
अधिवक्ता प्रशांत भूषण को अदालत की अवमानना का दोषी ठहराये जाने पर, उनके वकील ने 'मुलगांवकर सिद्धांतों' का आह्वान करते हुये अदालत से संयम दिखाने का आग्रह किया।
- 1978 के ‘एस. मुलगांवकर बनाम अज्ञात’ मामले में अवमानना के विषय पर एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया गया था। इसमें 2-1 बहुमत से, अदालत ने द इंडियन एक्सप्रेस के तत्कालीन संपादक मुलगांवकर को अवमानना का दोषी नहीं माना था, हालांकि उसी पीठ ने कार्यवाही शुरू की थी।
- जस्टिस पी कैलासम और कृष्णा अय्यर ने भारत के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश एम एच बेग के खिलाफ बहुमत प्राप्त किया था।
- न्यायमूर्ति अय्यर द्वारा अवमानना क्षेत्राधिकार का पालन करने में सावधानी बरतने को 'मुलगांवकर सिद्धांत' कहा जाता है। उन्होंने मीडिया को शामिल करते हुये मुक्त आलोचना के संवैधानिक मूल्यों और एक निडर न्यायालय प्रक्रिया और न्यायाधीश की आवश्यकता के साथ सामंजस्य स्थापित करने के पक्ष में तर्क दिया था।
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