एएसआई द्वारा द्वारका के जलमग्न तट पर अन्वेषण
- 19 Feb 2025
18 फरवरी, 2025 को संस्कृति मंत्रालय ने घोषणा की कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने गुजरात के द्वारका तट से जलमग्न अन्वेषण शुरू किया है।
मुख्य बिंदु:
- टीम संरचना: अतिरिक्त महानिदेशक (पुरातत्व) के नेतृत्व में एक पांच सदस्यीय टीम इन अन्वेषणों का संचालन कर रही है। उल्लेखनीय रूप से, इस टीम में तीन महिला पुरातत्वविद् शामिल हैं, जो एएसआई के अंतर्गत जलमग्न पुरातात्विक शोध में महिलाओं का महत्वपूर्ण प्रतिनिधित्व दर्शाती हैं।
- उत्खनन स्थान: प्रारंभिक जांच गोमती क्रीक के पास के क्षेत्र पर केंद्रित है।
- अंडरवाटर आर्कियोलॉजी विंग (UAW): एएसआई का पुनर्जीवित अंडरवाटर आर्कियोलॉजी विंग (UAW) यह परियोजना कर रहा है। UAW 1980 के दशक से जलमग्न पुरातात्विक अनुसंधान में शामिल है।
- UAW द्वारा पिछला कार्य: UAW ने पहले विभिन्न स्थलों पर खोजें की हैं, जिनमें बंगाराम द्वीप (लक्षद्वीप), महाबलीपुरम (तमिलनाडु), लोकतक झील (मणिपुर) और एलिफेंटा द्वीप (महाराष्ट्र) शामिल हैं।
- सहयोग: एएसआई ने अतीत में जलमग्न सांस्कृतिक विरासत के अध्ययन और सुरक्षा के लिए भारतीय नौसेना और अन्य सरकारी संगठनों के साथ सहयोग किया है।
- द्वारका में पिछले उत्खनन: 2005 और 2007 के बीच, एएसआई ने द्वारका में अपतटीय और तटीय उत्खनन किए। इन पिछले उत्खननों के दौरान कम ज्वार में मूर्तियां और पत्थर के लंगर खोजे गए। इन खोजों ने वर्तमान जलमग्न खोजों को सूचित किया और आधार तैयार किया।
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