मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू
- 14 Feb 2025
13 फरवरी 2025 को, केंद्र सरकार ने मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू करने और राज्य विधानसभा को निलंबित करने की घोषणा की। यह निर्णय मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के इस्तीफे के चार दिन बाद लिया गया, जिससे मई 2023 से जारी जातीय हिंसा के बीच राज्य में एक नया राजनीतिक अध्याय शुरू हुआ।
मुख्य बिंदु:
- संवैधानिक पृष्ठभूमि: मणिपुर विधानसभा का पिछला सत्र 12 अगस्त 2024 को हुआ था, और संविधान के अनुच्छेद 174(1) के अनुसार, दो सत्रों के बीच अधिकतम 6 महीने का अंतर हो सकता है। यह समयसीमा 12 फरवरी 2025 को समाप्त हो गई, लेकिन नया सत्र आयोजित नहीं हुआ। इससे विधानसभा भंग किए बिना ही संवैधानिक संकट की स्थिति उत्पन्न हो गई, जिसके चलते राष्ट्रपति शासन लागू करने का आधार मजबूत हुआ।
- जातीय हिंसा और सुरक्षा स्थिति: मणिपुर में मई 2023 से मेइती और कुकी दो समुदायों के बीच जातीय हिंसा जारी है, जिसमें 200 से अधिक लोग मारे गए। एनपीपी और कुकी पीपुल्स अलायंस ने पहले ही सरकार से समर्थन वापस ले लिया था।
- मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह का इस्तीफा: 9 फरवरी 2025 को बीरेन सिंह ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया। राज्यपाल ने 10 फरवरी को प्रस्तावित विधानसभा सत्र को "निरस्त" घोषित कर दिया था।
- अनुच्छेद 356 के तहत फैसला : राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने गवर्नर अजय कुमार भल्ला की रिपोर्ट के आधार पर राष्ट्रपति शासन लागू किया। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 356 के तहत यह फैसला लिया गया।
- विधानसभा के निलंबन का प्रभाव: राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद, विधानसभा को "स्थगित" (Suspended Animation) कर दिया गया, जिसका अर्थ है कि विधानसभा तकनीकी रूप से बनी रहेगी, लेकिन उसकी शक्तियां निलंबित रहेंगी। सभी प्रशासनिक कार्य केंद्र सरकार के नियंत्रण में आ गए, और राज्यपाल को प्रत्यक्ष प्रशासन की जिम्मेदारी दी गई।
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