बिना कारण बताये की गयी गिरफ्तारी अवैध
- 08 Feb 2025
7 फरवरी को उच्चतम न्यायलय ने स्पष्ट किया कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 22(1) के अनुसार गिरफ्तार व्यक्ति को उसकी गिरफ्तारी के कारणों की जानकारी देना केवल औपचारिकता नहीं, बल्कि एक अनिवार्य संवैधानिक आवश्यकता है। यदि यह जानकारी नहीं दी जाती, तो गिरफ्तारी अवैध मानी जाएगी। उच्चतम न्यायलय का यह ऐतिहासिक निर्णय न्यायिक प्रक्रिया और मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है।
फैसले के मुख्य बिंदु:
- मौलिक अधिकार का उल्लंघन: गिरफ्तार व्यक्ति को जल्द से जल्द गिरफ्तारी के कारण बताए जाने चाहिए। ऐसा न करना अनुच्छेद 22(1) और अनुच्छेद 21 का उल्लंघन होगा, जिससे व्यक्ति की आजादी का हनन होगा।
- परिजनों को भी जानकारी देना जरूरी: उच्चतम न्यायलय ने अपने अलग निर्णय में कहा कि गिरफ्तारी के कारण न केवल आरोपी को, बल्कि उसके परिजनों, मित्रों या नामित व्यक्ति को भी बताए जाने चाहिए, जैसा कि CrPC की धारा 50A में प्रावधान है।
- चार्जशीट और ट्रायल प्रभावित नहीं होंगे: यदि गिरफ्तारी अवैध पाई जाती है, तो भी जांच, चार्जशीट और मुकदमे पर इसका असर नहीं पड़ेगा। हालांकि, गिरफ्तारी को न्यायोचित नहीं ठहराया जा सकता यदि यह संविधान के अनुच्छेद 21 और 22(1) का उल्लंघन करती है।
- पुलिस को संवैधानिक संतुलन बनाए रखना होगा: उच्चतम न्यायलय ने पुलिस को चेतावनी दी कि वे गिरफ्तार व्यक्ति के अधिकारों और समाज के हितों के बीच संतुलन बनाए रखें और संविधान के अनुच्छेद 22(1) का कड़ाई से पालन करें।
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