मुक्त व्यापार में आयातित माल के ‘मूल स्थान के नियम’ को लागू करने की व्यवस्था
- 24 Aug 2020
केंद्र सरकार ने अगस्त 2020 में मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) के तहत आयातित उत्पादों पर सीमा शुल्क की तरजीही दर (preferential rate of customs duties) की अनुमति देने के लिए 'मूल स्थान के नियमों' (Rule of origin) के प्रावधानों के प्रवर्तन के लिए मानदंडों की व्यवस्था की है।
महत्वपूर्णतथ्य: खराब गुणवत्ता वाले उत्पादों का आयात रोकने तथा एफटीए में भागीदार देश के जरिये किसी तीसरे देश के उत्पादों की डंपिंग को रोकने के लिए यह मानक तैयार किए गए हैं।
- राजस्व विभाग ने सीमा शुल्क (व्यापार समझौतों के लिए उत्पत्ति नियमों के प्रशासन) नियम, 2020 को अधिसूचित किया है। ये नियम 21 सितंबर, 2020 से लागू होंगे।
- ये नियम भारत में आयातित उन उत्पादों पर लागू होंगे, जिन पर आयातक व्यापार समझौते के तहत शुल्क में छूट या रियायत का दावा करते हैं।
- व्यापार समझौते के तहत तरजीही शुल्क दर के दावे के लिए आयातक या उसके एजेंट को बिल जमा कराते समय यह घोषणा करनी होगी कि संबंधित उत्पाद तरजीही शुल्क दर के लिए पात्र है। और उसे संबंधित उत्पाद के ‘मूल स्थान का प्रमाणन’ भी देना होगा।
- भारत ने जापान, दक्षिण कोरिया, सिंगापुर और आसियान के सदस्यों सहित कई देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौता किया है। इस तरह के समझौतों में दो व्यापारिक भागीदार देश आपसी व्यापार वाले उत्पादों पर आयात/सीमा शुल्क को घटा देते हैं या पूरी तरह हटा देते हैं।
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