​प्रवासी मतदाताओं की घटती भागीदारी

  • 30 Dec 2024

हाल ही में जारी चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार 18वीं लोकसभा चुनावों में प्रवासी भारतीय मतदाताओं की भागीदारी में कम आई है।

मुख्य तथ्य:

  • प्रवासी मतदाता: आमतौर पर इन्हें एनआरआई मतदाता कहा जाता है, लेकिन भारत के चुनाव आयोग इन्हें प्रवासी निर्वाचक के रूप में वर्णित करता है। एनआरआई विभिन्न कारणों से विदेश में रहने वाले भारतीय होते हैं और लोकसभा, विधानसभा और अन्य प्रत्यक्ष चुनावों में मतदान करने के पात्र होते हैं। उन्हें अपनी पहचान के प्रमाण के रूप में अपना मूल पासपोर्ट दिखाना होता है।
  • पंजीकरण में वृद्धि: लगभग 1.2 लाख प्रवासी भारतीयों ने निर्वाचक के रूप में पंजीकरण कराया, जिसमें 2024 में 1,19,374 ने नामांकन किया। केरल में सबसे अधिक 89,839 पंजीकरण हुए। 2019 में, 99,844 ने प्रवासी निर्वाचक के रूप में पंजीकरण कराया था।
  • कम मतदान: केवल 2,958 प्रवासी निर्वाचक भारत में चुनावों में भाग लेने के लिए आए, जिनमें से 2,670 अकेले केरल से थे। कर्नाटक, उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु जैसे बड़े राज्यों और असम, बिहार और गोवा जैसे छोटे राज्यों में शून्य मतदान हुआ।
  • कम मतदान के कारण: यात्रा लागत, विदेश में रोजगार और शिक्षा जैसी चीजें कम मतदान के कारणों में शामिल हैं।
  • सिफारिशें: 2020 में, चुनाव आयोग ने पात्र प्रवासी भारतीय मतदाताओं के लिए इलेक्ट्रॉनिकली ट्रांसमिटेड पोस्टल बैलट सिस्टम (ETPBS) का विस्तार करने का प्रस्ताव दिया। 2018 में, 16वीं लोकसभा ने पात्र प्रवासी भारतीयों को प्रॉक्सी मतदान अधिकार देने के लिए एक विधेयक पारित किया, लेकिन इसे राज्यसभा में नहीं लाया जा सका।