एच. पाइलोरी और उसके उत्परिवर्तनों का पता लगाने हेतु नई विधि विकसित
- 28 Dec 2024
सन्दर्भ : 26 दिसंबर, 2024 को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा दी गयी जानकारी के अनुसार, सीएसआईआर-आईजीआईबी के शोधकर्ताओं ने ‘एच. पाइलोरी और उसके उत्परिवर्तनों का पता लगाने के लिए एक नई विधि विकसित’ की, जो संसाधन-सीमित सेटिंग्स में भी डिसपेप्टिक रोगियों के इलाज के लिए महत्वपूर्ण हो सकती है।
मुख्य तथ्य:
- एच. पाइलोरी संक्रमण: एच. पाइलोरी के संक्रमण व्यापक हैं, जो वैश्विक आबादी के 43% से अधिक लोगो को प्रभावित करते हैं और विभिन्न गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल विकारों को जन्म देते हैं।
- एंटीबायोटिक प्रतिरोध: क्लैरिथ्रोमाइसिन, जो एच. पाइलोरी के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाने वाली एक सामान्य एंटीबायोटिक है, के प्रतिरोध बैक्टीरिया में उत्परिवर्तन के कारण एक महत्वपूर्ण चिंता का विषय है।
- CRISPR- आधारित पहचान: अध्ययन ने एच. पाइलोरी का पता लगाने और गैस्ट्रिक बायोप्सी नमूनों में एंटीबायोटिक प्रतिरोध से जुड़े उत्परिवर्तनों की पहचान करने के लिए एक इंजीनियर कैस9 प्रोटीन (en31-FnCas9) का उपयोग किया।
- फेलुडा प्लेटफॉर्म: अध्ययन ने एच. पाइलोरी संक्रमण और इसकी उत्परिवर्तन स्थिति के तेज़ और दृश्य रीडआउट को सक्षम करने के लिए en31-FnCas9- आधारित पहचान को एक लेटरल फ्लो एसे (फेलुडा) के साथ एकीकृत किया।
- नैदानिक महत्व: इस नई विधि में विशेष रूप से संसाधन-सीमित सेटिंग्स में, एंटीबायोटिक प्रतिरोध के सटीक और समय पर पता लगाने को सक्षम करके, एच. पाइलोरी संक्रमण के निदान और उपचार में सुधार करने की क्षमता है।
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