भारत में आंतरिक प्रवास के बदलते पैटर्न
- 27 Dec 2024
हाल ही में , प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार परिषद (ईएसी-पीएम) ने "400 मिलियन ड्रीम्स" शीर्षक वाली एक रिपोर्ट जारी की, जिसमें 2011 के बाद से भारत में आंतरिक प्रवास के बदलते पैटर्न को उजागर किया गया।
मुख्य तथ्य:
- प्रवास में कमी: रिपोर्ट में 2011 में 45.57 करोड़ से घटकर 2023 में अनुमानित 40.20 करोड़ तक आंतरिक प्रवास संख्या में उल्लेखनीय कमी का संकेत मिलता है, जिसमें प्रवास दर ~38% से घटकर ~29% हो गई है।
- प्रवास गतिशीलता: अल्प दूरी का प्रवास प्रमुख बना हुआ है, जिसमें दूरी श्रम गतिशीलता को नकारात्मक रूप से प्रभावित करती है। प्रमुख प्रवास मार्गों में उत्तर प्रदेश-दिल्ली, गुजरात-महाराष्ट्र, तेलंगाना-आंध्र प्रदेश और बिहार-दिल्ली शामिल हैं।
- प्रवास को प्रभावित करने वाले कारक: प्रेरक कारकों में रोजगार के अवसरों की कमी, प्राकृतिक आपदाएं और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी शामिल है, जबकि आकर्षक कारकों में आर्थिक अवसर, जीवन स्तर में वृद्धि और शांति और स्थिरता शामिल हैं।
- क्षेत्रीय विविधताएं: पश्चिम बंगाल, राजस्थान और कर्नाटक में आने वाले प्रवासियों के प्रतिशत में वृद्धि देखी गई है, जबकि महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश में कमी आई है।
- प्रवास में गिरावट के कारण: मूल स्थान पर बेहतर बुनियादी ढांचा, सामाजिक सुरक्षा जाल और स्थानीयकृत आर्थिक विकास प्रवास संख्या में गिरावट के योगदान कारक हैं।
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