भारत वन स्थिति रिपोर्ट 2023

  • 23 Dec 2024

21 दिसंबर, 2024 को केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (Ministry of Environment, Forest and Climate Change) द्वारा वन स्थिति रिपोर्ट 2023 जारी की गई । भारत वन स्थिति रिपोर्ट 2023 इस श्रृंखला की 18वीं रिपोर्ट है।

  • रिपोर्ट के अनुसार, देश का वन एवं वृक्ष आवरण 8,27,367 वर्ग कि.मी. है जो देश के भौगोलिक क्षेत्र का 25.17 प्रतिशत है, जिसमें 7,15,343 वर्ग कि.मी. (21.76 प्रतिशत) बनावरण और 1,12,014 वर्ग कि.मी. (3.41 प्रतिशत) वृक्ष आवरण है।
  • वर्ष 2021 की तुलना में, देश के वन और वृक्ष आवरण में 1445 वर्ग कि.मी. की वृद्धि हुई है, जिसमें वनावरण में 156 वर्ग कि.मी. और वृक्ष आवरण में 1289 वर्ग कि.मी. की वृद्धि शामिल है।

विभिन्न क्षेत्रोंमें शीर्ष स्थान प्राप्त करने राज्य :

वन एवं वृक्ष आवरण में अधिकतम वृद्धि दर्शाने वाले शीर्ष चार राज्य हैं- छत्तीसगढ़ (684) वर्ग कि.मी.), उत्तर प्रदेश (559 वर्ग कि.मी.), ओडिशा (559 वर्ग कि.मी.) तथा राजस्थान (394 वर्ग कि.मी.) हैं।

वनावरण में अधिकतम वृद्धि दर्शाने वाले शीर्ष तीन राज्य हैं- मिजोरम (242 वर्ग कि.मी.), गुजरात (180 वर्ग कि.मी.) और ओडिशा (152 वर्ग कि.मी.) हैं।

क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे अधिक वन एवं वृक्ष आवरण वाले शीर्ष तीन राज्य हैं- मध्य प्रदेश (85,724 वर्ग कि.मी.), अरुणाचल प्रदेश (67,083 वर्ग कि.मी.) और महाराष्ट्र (65,383 वर्ग कि.मी.) है।

क्षेत्रफल की दृष्टि से सर्वाधिक वनावरण वाले शीर्ष तीन राज्य हैं- मध्य प्रदेश (77,073 वर्ग कि.मी.), अरुणाचल प्रदेश (65,882 वर्ग कि.मी.) और छत्तीसगढ़ (55,812 वर्ग कि.मी.) हैं।

  • कुल भौगोलिक क्षेत्रफल की तुलना में वन आवरण के प्रतिशत की दृष्टि से, लक्षद्वीप (91.33 प्रतिशत) में सबसे अधिक वन आवरण है, जिसके बाद मिजोरम (85.34 प्रतिशत) और अंडमान एवं निकोबार द्वीप (81.62 प्रतिशत) का स्थान है।
  • देश में बांस धारित क्षेत्र का विस्तार 1,54,670 वर्ग किलोमीटर अनुमानित किया गया है। वर्ष 2021 में किए गए पिछले आकलन की तुलना में बांस क्षेत्र में 5,227 वर्ग किलोमीटर की वृद्धि हुई है।

वन स्थिति से सम्बंधित चिंताएं

  • पश्चिमी घाट, पूर्वी राज्यों और पूर्वोत्तर में वन आवरण में महत्वपूर्ण हानि देखी गई।
  • वन (संरक्षण) संशोधन अधिनियम: इस हालिया संशोधन को पर्यावरणविदों द्वारा वन संरक्षण उपायों को कमजोर करने की क्षमता के लिए आलोचना की गई है।
    "वन" में वृक्षारोपण को शामिल करने पर विवाद है क्योंकि वे प्राकृतिक वनों की तरह प्रभावी ढंग से कार्बन को अवशोषित नहीं कर सकते हैं।