पटना HC ने बिहार में 65% आरक्षण को रद्द कर दिया
- 21 Jun 2024
20 जून, 2024 को पटना उच्च न्यायालय ने सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण को 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 65 प्रतिशत करने संबंधी बिहार सरकार की अधिसूचना को रद्द कर दिया।
- मुख्य न्यायाधीश के विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति हरीश कुमार ने यह फैसला सुनाया।
- हाईकोर्ट ने कहा कि ये कानून अनुच्छेद 14, 15 और 16 के तहत समानता खंड का उल्लंघन हैं।
- इस मामले में गौरव कुमार व अन्य की ओर से दायर याचिकाओं पर सुनवाई पूरी कर 11 मार्च 2024 को फैसला सुरक्षित रख लिया था।
- 27 नवंबर, 2023 को पटना उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की गई थी, जिसमें बिहार सरकार द्वारा राज्य में आरक्षण को 50% से बढ़ाकर 65% करने के फैसले को चुनौती दी गई थी।
- राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने 18 नवंबर, 2023 को बिहार विधानसभा ने बिहार (शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश में) आरक्षण (संशोधन) अधिनियम, 2023 और बिहार पदों और सेवाओं में रिक्तियों का आरक्षण (संशोधन) अधिनियम, 2023 को मंजूरी दी थी।
- जिसके बाद राज्य सरकार ने 21 नवंबर, 2023 को राजपत्र में इसकी अधिसूचना जारी की थी।
- बिहार आरक्षण संशोधन विधेयक के अनुसार, अत्यंत पिछड़े वर्गों के लिए कोटा मौजूदा 18% से बढ़ाकर 25% कर दिया गया।
- पिछड़े वर्गों के लिए 12% से बढ़ाकर 18%; अनुसूचित जातियों के लिए 16% से बढ़ाकर 20%; और अनुसूचित जनजातियों के लिए कोटा दोगुना करके 1% से 2% कर दिया गया।
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