श्री राम जन्मभूमि मंदिर
- 23 Jan 2024
22 जनवरी, 2024 को अयोध्या में दिव्य राम मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा समारोह का आयोजन किया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राम मंदिर में श्रीरामलला की प्राण प्रतिष्ठा की।
- इस समारोह में अन्य लोगों के अलावा उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत और श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष श्री नृत्य गोपाल दास उपस्थित थे।
मंदिर की प्रमुख विशेषताएं
- मंदिर का डिजाइन प्रसिद्ध वास्तुकार चंद्रकांत बी. सोमपुरा ने अपने बेटे आशीष के सहयोग से बनाया है।
- भव्य श्री राम जन्मभूमि मंदिर का निर्माण पारंपरिक नागर शैली में किया गया है।
- इसकी लंबाई (पूर्व-पश्चिम) 380 फीट, चौड़ाई 250 फीट और ऊंचाई 161 फीट है। इसमें कुल 392 स्तंभ तथा 44 दरवाजें हैं।
- मंदिर के स्तंभों और दीवारों पर हिंदू देवी-देवताओं के जटिल चित्रण प्रदर्शित हैं। भूतल पर मुख्य गर्भगृह में भगवान श्री राम के बचपन के स्वरूप (श्री रामलला की मूर्ति) को स्थापित किया गया है।
- मंदिर का मुख्य प्रवेश द्वार पूर्वी दिशा में स्थित है, जहाँ सिंह द्वार के माध्यम से 32 सीढ़ियाँ चढ़कर पहुंचा जा सकता है।
- मुख्य मंदिर की संरचना में राजस्थान के भरतपुर जिले से प्राप्त 'बंसी पहाड़पुर गुलाबी बलुआ पत्थर' (Bansi Paharpur Pink Sandstone) शामिल है।
- चबूतरे में ग्रेनाइट पत्थरों का उपयोग किया गया है, जो मंदिर को एक टिकाऊ नींव प्रदान करते हैं।
- मंदिर में कुल 5 मंडप (हॉल) हैं- नृत्य मंडप, रंग मंडप, सभा मंडप, प्रार्थना मंडप और कीर्तन मंडप।
- मंदिर के पास एक ऐतिहासिक कुआं (सीता कूप) है, जो प्राचीन काल का है।
- मंदिर परिसर के दक्षिण-पश्चिमी भाग में, कुबेर टीला में, भगवान शिव के प्राचीन मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया है, साथ ही जटायु की एक मूर्ति भी स्थापित की गई है।
- मंदिर की नींव का निर्माण रोलर-कॉम्पैक्ट कंक्रीट (RCC) की 14 मीटर मोटी परत से किया गया है, जो इसे कृत्रिम चट्टान का रूप देता है।
- मंदिर में कहीं भी लोहे का प्रयोग नहीं किया गया है। जमीन की नमी से सुरक्षा के लिए ग्रेनाइट का उपयोग करके 21 फुट ऊंचे चबूतरे का निर्माण किया गया है।
- आचार्य सत्येंद्र दास श्री राम मंदिर के मुख्य पुजारी हैं।
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