'असम कीलबैक' साँप प्रजाति
- 22 Jul 2020
26 जून, 2020 को जर्मनी की अंतरराष्ट्रीय पत्रिका ‘वर्टीब्रेट जूलॉजी’ (Vertebrate Zoology) में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार भारतीय वन्यजीव संस्थान देहारादून के वैज्ञानिकों की टीम ने एक ऐसे सांप की प्रजाति की खोज की है, जिसे 129 साल पहले विलुप्त मान लिया गया था।
महत्वपूर्ण तथ्य: असम-अरुणाचल प्रदेश की सीमा पर पोबा आरक्षित वन के पास 2018 में किए गए सर्वेक्षण में साँप की इस मादा प्रजाति को देखा गया।
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यह प्रजाति लगभग 60 सेमी लंबी है तथा इसका रंग भूरा एवं पेट एक पैटर्न की तरह होता है।
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‘असम कीलबैक’ नाम के इस सांप को आखिरी बार वर्ष 1891 में देखा गया था, जब एक ब्रिटिश चाय बागान मालिक सैमुअल एडवर्ड पील ने असम के सिवसागर जिले से इसके दो नर नमूनों को पकड़ा था। इन्हीं के नाम पर तब इस प्रजाति का नाम ‘हेबियस पेली’ (Hebius pealii) रखा गया था।
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जब अंग्रेजों ने इस सांप को खोजा था, तो उन्होंने इसे बड़े आकार वाली कीलबैक प्रजाति (हेबियस वंश) के रूप में वर्गीकृत किया था।
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लेकिन डीएनए अध्ययन के माध्यम से, टीम ने पाया कि यह साँप भारत के सामान्य कीलबैक साँप से संबंधित नहीं है, बल्कि पूर्वी और पश्चिमी हिमालय, दक्षिण चीन और पूर्वोत्तर भारत में पाए जाने वाले चार प्रजातियों के एक छोटे समूह से संबंधित एक अद्वितीय वंश हेरपेटोरेस (Herpetoreas) से है।
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