भारत में इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट प्रतिबंधित
5 दिसंबर, 2019 को इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट निषेध (उत्पादन, निर्माण, आयात, निर्यात, परिवहन, बिक्री, वितरण, भंडारण और विज्ञापन) अधिनियम, 2019 को अधिनियमित किया गया था। यह अधिनियम इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट के उत्पादन, व्यापार, भंडारण और विज्ञापन पर प्रतिबंध लगाने का प्रावधान करता है।
पृष्ठभूमि
- धूम्रपान करना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। धूम्रपान छोड़ने में मदद के लिए ई-सिगरेट पेश किया गया था, लेकिन यह पाया गया कि लोग इसके भी आदी हो गए। ई-सिगरेट से स्वास्थ्य पर उतना ही बुरा असर पड़ता है। यह कैंसर, हृदय और फेफड़े की समस्याओं का कारण है। इसके लिए सरकार ने एक सक्रिय विधायी उपाय करते हुए कानून बनाया है।
मुख्य विशेषताएं
- अधिनियम इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट (ई-सिगरेट) को इलेक्ट्रॉनिक उपकरण के रूप में परिभाषित करता है, जो एक पदार्थ जिसमें निकोटीन और अन्य रसायन शामिल हो सकते हैं, को गर्म करता है, जिससे सांस लेने के लिए वाष्प बनता है।
- यह भारत में ई-सिगरेट के उत्पादन, निर्माण, आयात, निर्यात, परिवहन, बिक्री, वितरण और विज्ञापन पर प्रतिबंध लगाता है।
- इसका उल्लंघन करने वाले किसी भी व्यक्ति को एक साल तक की कैद या एक लाख रुपये तक का जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।
- दुबारा अपराध करने पर व्यक्ति को तीन साल तक के कारावास के साथ-साथ पांच लाख रुपये तक का जुर्माना होगा।
- किसी भी व्यक्ति को ई-सिगरेट के स्टॉक की अनुमति नहीं है। अगर कोई भी व्यक्ति ई-सिगरेट का कोई भी स्टॉक रखता है तो उसे छः महीने तक की कैद या 50,000 रुपये तक का जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।
विश्लेषण
- स्वास्थ्य जोखिमप्रतिबंध लगाने का कारण है- ई-सिगरेट और इसी तरह के उत्पाद लोगों, विशेषकर युवाओं के लिए स्वास्थ्य जोखिम उत्पन्न करते हैं। 2018 के एक अध्ययन में पाया गया कि ई-सिगरेट का दैनिक उपयोग दिल के दौरे के जोखिम को 79% तक बढ़ा देता है।
- इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के अनुसार, ई-सिगरेट, ई-शीशा, हीट-नॉट-बर्न डिवाइस, वैप और ई-निकोटीन फ्लेवर्ड हुक्का आदि स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हैं और कैंसर, डीएनए क्षति, फुफ्रफुसीय विकार और अन्य घातक विकारों के कारण बन सकते हैं। इसके अतिरिक्त निकोटीन मस्तिष्क के विकास को भी बाधित करता है, जिससे सीखने में कठिनाई होती है।
इलेक्ट्रॉनिक निकोटीन डिलीवरी सिस्टम
ईएनडीएस (Electronic Nicotine Delivery Systems - ENDS) या गैर-दहनशील तम्बाकू उत्पादों को कई नामों से जाना जाता है, जैसे- वैप, ई-हुक्का, इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट और ई-पाइप। इनका तंबाकू मुक्त निकोटीन वितरण उपकरणों के रूप में विपणन किया जाता है।
ई-सिगरेट एक बैटरी से चलने वाला उपकरण है, जो निकोटीन युक्त घोल को गर्म करके एरोसोल का उत्पादन करता है। इस घोल में निकोटीन के अतिरिक्त ग्लिसरॉल, प्रोपलीन, ग्लाइकोल जैसे घटक शामिल होते हैं। यह पारंपरिक सिगरेट से अलग है, जो तंबाकू के पत्तों को जलाता है।
इस एरोसोल में सिगरेट के धुएं के सामान गैसें और निलंबित कण होते हैं। कश (puff) के बाद यह एरोसोल उपयोगकर्ता के फेफड़ों तक पहुंचता है।
ई-सिगरेट में वाष्पशील कार्बनिक यौगिक और भारी धातुएं होती हैं_ जिनका स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, जैसे- निकल, टिन और सीसा।
हाल ही में यूएस एफडीए के एक अध्ययन में ई-सिगरेट का उपयोग करने वाले हाईस्कूल के किशोरों की संख्या में 78% की वृद्धि देखी गई। ई-सिगरेट का फ्रलेवर बच्चों द्वारा इसका उपयोग करने के प्रमुख कारणों में से एक है।
- विस्तृत बाजारः भारत में धूम्रपान करने वालों की विश्व में दूसरी सबसे बड़ी आबादी है और यह वैकल्पिक धूम्रपान उपकरण उद्योग के लिए एक बड़ा बाजार है।
- दोषपूर्ण संवर्द्धनः निर्माताओं ने गैर-हानिकारक उत्पाद के रूप में ई-सिगरेट को बढ़ावा दिया है_ लेकिन इस दावे का समर्थन करने के सीमित साक्ष्य हैं कि ई-सिगरेट लोगों को धूम्रपान करने से रोकने में मदद करती है। दूसरी ओर निकोटीन की आपूर्ति परिवर्तनशील और विभिन्न आकारों में होती है, जिससे इसका आकलन करना कठिन होता है।
- गलत धारणाः सिगरेट के अन्य रूपों की तुलना में ई-सिगरेट कम हानिकारक है, यह धारणा ईएनडीएस के प्रति युवाओं को आकर्षित कर रही है। हालांकि, जो लोग ई-सिगरेट का उपयोग करते हैं, उनके लिए पारंपरिक सिगरेट पीने की संभावना अधिक हो सकती है। द ट्रूथ इनीशिएटिव (एक तंबाकू विरोधी संगठन) के 2015 के सर्वेक्षण में पाया गया कि ई-सिगरेट का इस्तेमाल करने वालों में से लगभग 60% सिगरेट भी पीते हैं, जिन्हें दोहरे उपयोगकर्ता कहा जाता है।
- सरकारी प्रयास के असफल होने की आशंकाः सरकार को इस बात की आशंका है कि ई-सिगरेट तंबाकू के उपयोग की व्यापकता को कम करने के सरकार के प्रयासों को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है।
- विवादास्पद कार्रवाईः ई-सिगरेट को बढ़ावा देने वाले व्यापार निकायों, उपयोगकर्ताओं और अन्य हितधारकों ने प्रतिबंध लगाने के सरकार के कदम को खारिज कर दिया है। उनका आरोप है कि यह पारंपरिक सिगरेट उद्योग की रक्षा के लिए जल्दबाजी में लिया गया एक मनमाना, भेदभावपूर्ण, कठोर और अत्यधिक अनुचित कदम है। यह 11 करोड़ सक्रिय धूम्रपान करने वालों को सुरक्षित विकल्प से वंचित करता है।
धूम्रपान के विपरीत ई-सिगरेट के प्रतिकूल स्वास्थ्य प्रभाव अभी तक ज्ञात नहीं हैं। इसलिए सरकार को ईएनडीएस के बारे में निर्णय लेने के लिए सभी हितधारकों से परामर्श करना चाहिए।
सुझाव
- कानून बनाना समाधान का एक पक्ष है, इसकी सफलता प्रवर्तन और कार्यान्वयन में निहित है। अधिनियम में निर्धारित कठोर सजा और संबद्ध लत इस कानून के कार्यान्वयन को प्रभावित कर सकती है। लोगों विशेष रूप से युवाओं में जागरुकता तथा नागरिक समाज का सहयोग इसके कार्यान्वयन का प्रमुख निर्धारक होगा। इसके अलावा, समग्र स्वास्थ्य विकास के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए तंबाकू मुक्त समाज का निर्माण करना चाहिए।