Question : सामाजिक वानिकी क्या है? सामाजिक वानिकी किस प्रकार ग्रामीणों के उद्धार में सहायक हो सकती है? वर्णन कीजिए।
(1993)
Answer : सामाजिक वानिकी पर्यावरण संतुलन, वनों के निर्माण, भू-क्षरण व भू-स्खलन की रोकथाम से संबंधित है। सामाजिक वानिकी से अभिप्राय वन विकास की ऐसी प्रणाली से होता है, जिससे समुदाय की आर्थिक व सामाजिक आवश्यकताओं को ध्यान में रख कर वृक्षारोपण व वृक्ष कटाव के कार्यक्रम बनाये व क्रियान्वित किए जाते हैं। राष्ट्रीय कृषि आयोग ने सामाजिक वानिकी को दो भागों में बांटा है। प्रथम प्रश्रेप वानिकी, जिसमें खेतों की मेढ़ों पर लाइन में व घर, कुएं आदि के आसपास वृक्ष लगाए जाते हैं। दूसरा, प्रसार वानिकी, जिसके अंतर्गत इमारती लकड़ी व चारा वाली प्रजाति का शासकीय एवं गैर-शासकीय क्षेत्र में रोपण, सड़क, रेल व नहरों के किनारों पर शीघ्र बढ़ने वाली प्रजाति का रोपण और पर्यावरण संरक्षण हेतु विकृत वनों में सुधार आदि आते हैं। वास्तव में सामाजिक वानिकी का उद्देश्य मुख्य रूप से जनकल्याण ही है। इसके माध्यम से ग्रामीण क्षेत्र के बेरोजगार व अर्द्ध-बेरोजगार युवकों को आंशिक रोजगार मुहैया कराया जाता है। इसके अलावा, ग्रामीणों को ईंधन की लकड़ी, गृह निर्माण के लिए बल्ली तथा कृषकों को हल आदि कृषि उपकरणों के लिए लकड़ी भी उपलब्ध करायी जाती है। सामाजिक वानिकी के अंतर्गत भू-आकृतियों के आधार पर वृक्षारोपण के लिए स्थानीय प्रजातियों को विशेष रूप से प्राथमिकता दी गई है। वनविहीन पर्वतीय क्षेत्रों को ढकने के लिए चीड़ प्रजाति के वृक्षों के विकास की ओर भी ध्यान दिया गया है। भू-क्षरण रोकने की दृष्टि से घास तथा झाडि़यों का विकास व विस्तार किया जा रहा है। सामाजिक वानिकी के अंतर्गत निम्नलिखित कार्यों को प्राथमिकता दी जा रही है-