Question : रूस 1999 के बाद अपने प्रादेशिक विभाजन के लिए कभी सहमत नहीं हुआ। यूक्रेन में हाल की घटनाओं के संदर्भ में समझाएं और इसका औचित्य सिद्ध करें।
Answer : उत्तरः रूस द्वारा प्रादेशिक अखंडता के प्रयास
रूस-यूक्रेन आर्थिक पक्ष
विवाद
Question : दक्षिण अमेरिका की नई विदेश नीति, अमेरिकी प्रभाव से स्वतंत्र है। चर्चा कीजिए।
Answer : उत्तरः पिछले एक दशक से क्षेत्र में अमेरिकी प्रभाव में कमी आई है क्योंकि अमेरिका-इराक युद्ध का निर्णय उतना आशावादी नहीं रहा तथा अमेरिकी अर्थव्यवस्था भी स्थिर बनी हुई है। इसी समय भारत तथा चीन लैटिन अमेरिका देशों के लिए बड़े निर्यातक के रूप में उभरकर सामने आए हैं। चीन, ब्राजील तथा अर्जेन्टीना के निर्यात हेतु सबसे बड़ा बाजार बनकर उभरा है। वाशिंगटन की खुली अर्थव्यवस्था ने दक्षिण अमेरिका के देशों का विश्वास खो दिया है। अतः क्षेत्रीय असमानता को देखते हुए बहुत से लैटिन अमेरिकी देश एक नये कूटनीतिक तथा आर्थिक क्रम के पक्ष में है जिसमें अमेरिका का वर्चस्व न हो।
Question : लोहे का परदा (Iron Curtain) एक अवधारणा है, जो वापसी कर रही है। चर्चा कीजिए।
Answer : उत्तरः लोहे के पर्दे से तात्पर्य एक वैचारिक टकराव से है, जिसने द्वितीय विश्व युद्ध (1945) के समय यूरोप को दो भागों में बाँट दिया था तथा यह बंटवारा शीतयुद्ध की समाप्ति यानि 1991 तक बना रहा। इसके अन्तर्गत पश्चिमी सोवियत संघ तथा उसके कुछ सहयोगी राज्य जो पश्चिम से सीधे सम्पर्क में थे, एक तरफ हो गए तथा दूसरी तरफ पूर्वी सोवियत संघ से जुड़े राज्य थे।
Question : संयुक्त राष्ट्र आर्थिक रूप से धनी पश्चिमी देशों पर निर्भर है। इस कारण इसका अधिकार क्षेत्र है। इस संदर्भ में विश्व की वर्तमान वास्तविकताओं के संगत संयुक्त राष्ट्र में सुधार का औचित्य बताइए।
Answer : उत्तरः 21वीं सदी की नई-नई चुनौतियों से निपटने के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ ने समय-समय पर अपने ऑपरेशनों तथा प्रबंधन में दक्षता तथा प्रभाविता लाने के प्रयास किए हैं। यूएन अब अपने सैन्य व शांति अभियानों को अधिक पारदर्शिता तथा जिम्मेदारी से निभाने के लिए प्रतिबद्ध जान पड़ता है।
प्रभाविता बढ़ाने के लिए हाल ही में किए गए प्रयास
Question : गुटनिरपेक्ष नीति को समझाते हुए वर्तमान में इसकी प्रासंगिकता को बताएं।
Answer : उत्तरः समतावादी चेतना पर आधारित गुटनिरपेक्षता की नीति नेहरू की विदेश नीति का एक महत्वपूर्ण अंग थी। शीत युद्ध के दौरान लाई गई रणनीति विश्व के किसी भी गुट से तटस्थ रहते हुए विश्व को सकारात्मक रूप से प्रभावित करने पर बल देती है। नेहरू के अलावा यूगोस्लाविया के जोसेफ टीटो, इंडोनेशिया के सुकर्णो तथा मिस्र के अब्दुल नासिर भी इस नीति के प्रमुख प्रतिपादकों में शामिल थे। गुटनिरपेक्ष नीति के प्रमुख तत्वों को निम्न रूप में देखा जा सकता है-
Question : अमेरिका फर्स्ट नीति क्या है? इसके संभावित वैश्विक प्रभावों पर प्रकाश डालें।
Answer : उत्तरः अमेरिका फर्स्ट शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम वर्तमान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने चुनाव अभियान के दौरान किया था। इसका तात्पर्य घरेलू और विदेश नीति के मामले में अमेरिका व अमेरिकावासियों को प्राथमिकता प्रदान करने से संबंधित है।
प्रभाव
Question : बी.बी.आई.एन. (BBIN) समझौता से आप क्या समझते हैं? हाल ही में भूटान द्वारा इस समझौते से अलग होने के कारण का उल्लेख करते हुए बताएं कि भूटान की चिंताओं के समाधान के प्रयास किये जाने चाहिए?
Answer : उत्तरः बीबीआईएन बांग्लादेश, भूटान, भारत और नेपाल के बीच हस्ताक्षरित मोटर वाहन समझौता है जिसे 2014 में काठमांडू में आयोजित सार्क शिखर सम्मेलन में सार्क मोटर वाहन समझौते (MVA) पर सहमति न बन पाने के कारण इसके विकल्प के रूप में प्रस्तावित किया गया था।
Question : हाल ही में कैबिनेट के निर्णय के अनुसार, अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (आइएसए) के सदस्यता में विस्तार का निर्णय लिया गया। इसके प्रभाव का मूल्यांकन करें।
Answer : उत्तरः आइएसए कर्क रेखा और मकर रेखा के बीच स्थित राष्ट्रों को सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने हेतु व्यापक मंच/संगठन है। वर्तमान समय में इसके सदस्यों को कुल संख्या लगभग 70 है, जिसे हाल के निर्णयों के अनुसार विस्तारित किया जाएगा। इस क्रम में संयुक्त राष्ट्र के सदस्यों को सदस्यता हेतु आमंत्रित किया जाएगा।
सदस्यता विस्तार से लाभ
आशंका
भारत को लाभ
Question : इंटरमीडिएट-रेंज न्यूक्लियर फोर्सेज (आईएनएफ) क्या है? हाल में अमेरिका द्वारा इस संधि से अलग होने की घोषणा क्यों की गई? इस संदर्भ में इसके वैश्विक प्रभावों तथा भारत पर पड़ने वाले प्रभावों की चर्चा करें।
Answer : उत्तरः आईएनएफ शीत युद्ध के काल में (1987) सोवियत संघ एवं संयुक्त राष्ट्र अमेरिका के बीच हस्ताक्षरित संधि है जिसमें इन दोनों राष्ट्रों को 500-5,000 किलोमीटर की रेंज वाली भूमि से प्रक्षेपित की जाने वाली क्रूज मिसाइलों को रखने, उनका उत्पादन करने या उनका प्रशिक्षण करने से मना/प्रतिबंधित करती है।
अमेरिका संधि से क्यों अलग होना चाहता है?
विश्व के लिए इसके निहितार्थ
भारत पर प्रभाव
Question : हाल ही में आई.एम.एफ. की ही एक कार्यकारी इकाई स्वतंत्र मूल्यांकन कार्यालय (Independent Evaluation Office) ने यूरोप में 2008 की मंदी के बाद IMF द्वारा निभाई गई भूमिका की आलोचना की है। स्वतंत्र मूल्यांकन कार्यालय की इस आलोचना से IMF को क्या सीख लेने की आवश्यकता है, चर्चा करें।
Answer : उत्तरः IMF के द्वारा 1998-99 के एशियाई संकट के बाद अपने कार्यों के मूल्यांकन हेतु एक स्वायत्त इकाई का गठन किया गया जिसे स्वतंत्र मूल्यांकन कार्यालय (IFO) के नाम से जाना जाता है। IFO का मुख्य कार्य IMF की नीतियों एवं इसके कार्यक्रम का मूल्यांकन कर रिपोर्ट देना है। हाल ही में IFO ने IMF के द्वारा यूरोप में 2008 की मंदी के बाद लागू की गयी नीतियों एवं कार्याक्रमों का समग्र मूल्यांकन कर उसकी आलोचना की है।
रिपोर्ट में आलोचना के बिंदु
IMF को सीख क्या लेनी चाहिए?
Question : अफ्रीका में भूख के कारण एवं प्रभावों की चर्चा करें।
Answer : उत्तरः राजनीतिक असंतुलन, प्रजातांत्रिक संस्थाओं का अभाव, सामाजिक एवं आर्थिक विकास का निम्न स्तर, तानाशाही शासन जैसे कारण, अफ्रीका में भूख के प्रमुख कारण हैं। इनके लिए उपनिवेशवादी शासन मुख्य रूप से जिम्मेवार हैं। 20वीं सदी के उत्तरार्द्ध में अफ्रीकी देशों के उपनिवेशवादी शासन से मुक्त होने के पश्चात् तानाशाहों का उदय हुआ और गृहयुद्ध प्रारंभ हो गया।
भुखमरी के प्रभाव
Question : नए गहरे सागरीय-नीति का आलोचनात्मक विश्लेषण करें।
Answer : उत्तरः भारत में मछली उत्पादन एक पारंपरिक व्यवसाय है तथा भारत में कई मछुआरों समुदायों का निवास है, जो पूर्ण रूप से मछली उत्पादन पर ही निर्भर है तथा लाखों मछुआरे 8000 किमी. लंबे तटीय इलाकों के ऊपर व्यापार के लिए एवं जीविकोपार्जन के लिए आश्रित हैं। कोई भी नई नीति जो इनके जीविका को सुरक्षित करे, समुद्री संसाधनों की रक्षा करे तथा आर्थिक विकास के लिए राजस्व जुटाए, की जरूरत है। इसी संदर्भ में सरकार ने मीना कुमारी कमिटी का गठन किया था।
भारतीय मछली उत्पादन की समस्या
मछली उद्योग का महत्व
मीना कुमारी कमिटी की सिफारिशें
आलोचना
Question : वैश्विक स्तर पर दक्षिणपंथ के उभरने के क्या कारण हैं? भारत पर इसके प्रभाव एवं वैश्विक समाधान पर प्रकाश डालें।
Answer : उत्तरः वर्तमान में लगभग सभी महाद्वीपों में दक्षिणपंथी नेतृत्व के उभार एवं सफलता देखी गई, जिसकी पराकाष्ठा की पुष्टि अमेरिकी राष्ट्रपति के नीतियों से परिलक्षित होती है।
उभार के कारण
भारत पर प्रभाव
वैश्विक समाधान
Question : भारत के द्वारा बलूचिस्तान के मुद्दे को राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उठाना उसकी नीति परिवर्तन को दर्शाता है। इस मुद्दे के उठाने से भारत पर होने वाले प्रभाव का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिए।
Answer : उत्तरः 15 अगस्त, 2016 को लाल किले से प्रधानमंत्री द्वारा दिए भाषण में सीधे तौर पर पाक अधिकृत कश्मीर एवं गिलगित-बलूचिस्तान के मुद्दे को उठाकर भारत की वर्तमान चली आ रही नीति में एक व्यापक परिवर्तन लाया है। पहले सर्वदलीय बैठक फिर 15 अगस्त को देश के नाम संबोधन में बलूचिस्तान एवं POK में पाकिस्तान द्वारा किए जा रहे मानवाधिकार उल्लंघनों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उठाने की भारत के इस कदम की अपने-अपने स्तर पर विवेचना की जा रही है तथा इसके लाभ एवं हानि दोनों बताएं जा रहे हैं:
लाभ
हानि
Question : अमेरिका द्वारा कतिपय क्षुद्र राजनीतिक स्वार्थों की मार में सीरिया से अमेरिकी सैनिकों को वापस बुलाने के निर्णय ने सीरिया सहित संपूर्ण पश्चिम एशिया को युद्ध, अशांति, कलह एवं अराजकता से युक्त दुर्दांत गाथा की खाई में धकेल दिया है। इस संदर्भ में वैश्विक एवं भारतीय हितों पर पड़ने वाले प्रभावों का मूल्यांकन करें।
Answer : उत्तरः हाल ही में अमेरिका द्वारा सीरिया के संदर्भ में लिए गए सैन्य संबंधी नीतिगत निर्णय यथा अमेरिकी सैनिकों को वापस बुलाने के प्रभाव का आंकलन वैश्विक परिप्रेक्ष्य में करने की जरूरत है, क्योंकि इसके दूरगामी प्रभाव के रूप में वैश्विक राजनीति में उथल-पुथल एवं अस्थिरता से इंकार नहीं किया जा सकता।
वैश्विक प्रभाव
सीरिया पर प्रभाव
भारत पर प्रभाव
Question : अंतरराष्ट्रीय संबंधों के क्षेत्र में भारत का यूएसए की तरफ अधिक झुकाव हो गया है। क्या आपके विचार को विश्व की वर्तमान भूराजनीतिक वास्तविकताओं का सामना करने के लिए यह दृष्टिकोण उपयुक्त है?
Answer : उत्तरः अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा के द्वारा भारतीय गंणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि बनने का लिए गए निर्णय ने वैश्विक संबंधों में एक नए आयाम की शुरुआत की। ओबामा के द्वारा लिया गया यह निर्णय अकल्पनीय था। संभवतः भारत वैसे लोगों को मुख्य अतिथि के तौर पर आमंत्रित करता है, जिन देशों के साथ उसके संबंध बहुत घनिष्ठ हो और भविष्य में उसका लाभ लिया जा सके। अपना कार्यभार ग्रहण करने के बाद ओबामा ने लगभग हर बार चीन एवं पाकिस्तान के मुद्दे पर भारत की उपेक्षा की थी।
भारत एवं अमेरिका संबंध के पांच स्तंभ निम्नलिखित है-
5- विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी 6. स्वास्थ्य एवं नवाचार