जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने में नैनो प्रौद्योगिकी की भूमिका
नैनो प्रौद्योगिकी के अंतर्गत पदार्थों की संरचना का नैनोमीटर (1-100 नैनोमीटर) स्तर पर अध्ययन किया जाता है। यहजलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।
- इसके कई संभावित अनुप्रयोग हैं जो पर्यावरणीय प्रभाव को कम कर सकते हैं और स्थिरता को बढ़ावा दे सकते हैं।
जलवायु परिवर्तन : नैनो प्रौद्योगिकी की भूमिका
- वृक्षारोपण और काष्ठ संरक्षण: नैनोप्रौद्योगिकी का उपयोग वृक्षारोपण और काष्ठ संरक्षण में किया जा सकता है। नैनोकोटिंग्स का उपयोग कर, पौधों को उच्च तापमान और सूखे की स्थिति में अधिक सहनशील बनाया जा ....
क्या आप और अधिक पढ़ना चाहते हैं?
तो सदस्यता ग्रहण करें
इस अंक की सभी सामग्रियों को विस्तार से पढ़ने के लिए खरीदें |
पूर्व सदस्य? लॉग इन करें
वार्षिक सदस्यता लें
सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल के वार्षिक सदस्य पत्रिका की मासिक सामग्री के साथ-साथ क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स पढ़ सकते हैं |
पाठक क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स के रूप में सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल मासिक अंक के विगत 6 माह से पूर्व की सभी सामग्रियों का विषयवार अध्ययन कर सकते हैं |
संबंधित सामग्री
- 1 बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा प्रणाली: भारत की क्षमताएं
- 2 कृषि का रूपांतरण: उभरती प्रौद्योगिकियों की भूमिका
- 3 अन्य देशों के साथ भारत का अंतरिक्ष सहयोग: लाभ और उपलब्धियां
- 4 गहरे समुद्र में अन्वेषण: भारत की प्रगति और चुनौतियां
- 5 साइबर हमले: भारत के डिजिटलीकरण के लिए चुनौतियां
- 6 जेनेरिक दवाएं: संबंधित मुद्दे और चिंताएं
- 7 दुर्लभ बीमारियां : चुनौतियां एवं भारत की कार्यवाही
- 8 रोगाणुरोधी प्रतिरोध : चुनौतियां और रोकथाम के उपाय
- 9 ब्रेन कंप्यूटर इंटरफ़ेस (BCI) और इसके नैदानिक अनुप्रयोग
- 10 बायोइन्फॉर्मेटिक्स और इसके अनुप्रयोग