जलवायु अनुकूल कृषि हेतु रणनीतियाँ एवं पहल
हाल ही में संयुक्त राष्ट्र द्वारा किए गए एक आकलन के अनुसार, वर्ष 2050 तक दुनिया की जनसंख्या 900 करोड़ तक पहुंच जाएगी। इस बढ़ी हुई जनसंख्या की खाद्य आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए मौजूदा खाद्य उत्पादन में लगभग 70 प्रतिशत की बढ़ोतरी करनी पड़ेगी।
- जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी पैनल की पांचवीं आकलन रिपोर्ट के अनुसार, धरती के औसत तापमान में एक डिग्री सेंटीग्रेड की वृद्धि से गेहूं की उत्पादकता 6 प्रतिशत, चावल की उत्पादकता 6.2 प्रतिशत और सोयाबीन की उत्पादकता 3.1 प्रतिशत कम हो जाती है। इस कारण बढ़ती जनसंख्या और जलवायु परिवर्तन वैश्विक खाद्य सुरक्षा की सबसे बड़ी चुनौतियों ....
क्या आप और अधिक पढ़ना चाहते हैं?
तो सदस्यता ग्रहण करें
इस अंक की सभी सामग्रियों को विस्तार से पढ़ने के लिए खरीदें |
पूर्व सदस्य? लॉग इन करें
वार्षिक सदस्यता लें
सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल के वार्षिक सदस्य पत्रिका की मासिक सामग्री के साथ-साथ क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स पढ़ सकते हैं |
पाठक क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स के रूप में सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल मासिक अंक के विगत 6 माह से पूर्व की सभी सामग्रियों का विषयवार अध्ययन कर सकते हैं |
संबंधित सामग्री
- 1 भारत में पहली बुलेट ट्रेन का साकार होता सपना
- 2 जीनोम इंडिया परियोजना: स्वास्थ्य सेवा प्रणाली की मजबूत नींव
- 3 विकसित भारत के सपने को साकार करने की ओर अग्रसर वैज्ञानिक पहलें
- 4 भारत का क्वांटम सैटेलाइट मिशन: संचार और सुरक्षा में नई क्रांति
- 5 विज्ञान के अनुसंधान में अग्रणी भारतीय महिलाएं
- 6 स्वास्थ्य सेवा के बुनियादी ढांचे और पहुँच को मजबूत करना
- 7 भारत में महिला सशक्तीकरण के लिए बजटीय पहल
- 8 ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए सरकारी पहल
- 9 केंद्रीय बजट 2025-26 : विकास के आयाम
- 10 महिला सशक्तीकरण
पत्रिका सार
- 1 भारत में सहकारी समितियों का सशक्तीकरण
- 2 कृषि ऋण सहकारी समितियां : डिजिटलीकरण के माध्यम से सशक्तीकरण
- 3 कृषि एवं ड्रोन प्रौद्योगिकी
- 4 कृषि आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन
- 5 सतत कृषि : मुद्दे तथा सहायक कृषि पद्धतियां
- 6 भारतीय कृषि की बदलती प्रवृत्ति
- 7 भारत में सतत कृषि विकास हेतु नवाचार
- 8 जलवायु परिवर्तन एवं समुद्री तूफान
- 9 भारतीय मानसून : उत्पत्ति, प्रसार एवं जलवायु परिवर्तन का प्रभाव