परंपरागत जनजातीय समाज पर भूमंडलीकरण के प्रभाव

वैश्विक स्तर पर सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक एवं राजनैतिक व्यवस्था से मिश्रित एक ऐसी दशा जिसमें बाजार की शक्तियों का व्यापक प्रभाव होता है भूमंडलीकरण कहलाता है। मानवीय जनसंख्या में वृद्धि तथा औद्योगिक क्रांति के पश्चात भूमंडलीकरण को व्यापक रूप से बढ़ावा मिला है। इससे उपभोक्तावाद की संस्कृति को बढ़ावा, राष्ट्र एवं राज्यों की संप्रभुता में कमी तथा आर्थिक दशाओं को व्यापक महत्व प्राप्त हुआ है।

  • वर्तमान समय में विश्व का कोई भी देश अथवा समाज भूमंडलीकरण की प्रक्रिया से अछूता नहीं रहा है। भारत में 1990 के दशक में भूमंडलीकरण की प्रक्रिया को अपनाया गया था। इसके बाद से ही, समाज ....
क्या आप और अधिक पढ़ना चाहते हैं?
तो सदस्यता ग्रहण करें
इस अंक की सभी सामग्रियों को विस्तार से पढ़ने के लिए खरीदें |

पूर्व सदस्य? लॉग इन करें


वार्षिक सदस्यता लें
सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल के वार्षिक सदस्य पत्रिका की मासिक सामग्री के साथ-साथ क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स पढ़ सकते हैं |
पाठक क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स के रूप में सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल मासिक अंक के विगत 6 माह से पूर्व की सभी सामग्रियों का विषयवार अध्ययन कर सकते हैं |

संबंधित सामग्री